अच्छी सेहत बरकरार रखने के लिए आवश्यक है कि आप विभिन्न प्रकार के फूड्स खायें। ऐसी डायट का चयन करें जिसमें फैट, सैच्युरेटेड फैट और कोलेस्ट्रोल कम हो। इसका अर्थ यह है कि आप खूब सारी सब्जियां, फल और अनाज से बनी चीजें खायें। साथ ही नमक व मीठे का इस्तेमाल संयम से करें। सप्ताह में 50 एमएल से अधिक व्हिस्की 150 एमएल से अधिक बियर न लें। आपके लिए यह भी आवश्यक है कि अपनी आयु व कद के हिसाब से शरीर का वजन स्थिर रखें। इससे जरूरी हो जाता है कि नियमित कसरत की जाये जैसे योग, तेज चहलकदमी, ऐरोबिक्स, साइकिलिंग, बैडमिंटन आदि। इनसे न केवल आप मानसिक व शारीरिक रूप से फिट रहते हैं बल्कि आपके जिस्म की प्रतिरोधात्मक क्षमता भी बढ़ जाती है। सप्ताह में कम से कम पांच बार 30 से 45 मिनट की एक्सरसाइज अवश्य होनी चाहिए। अगर सिगरेट पीते हैं तो बेहतर सुझाव यही है कि उसे छोड़ दें।
ऐसा करना तो सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए जरूरी है, लेकिन यहां यह बताना भी जरूरी है कि जैसे जैसे आपकी आयु बढ़ती है, आपके शरीर में विभिन्न परिवर्तन आते हैं जिन पर ध्यान देना लाजिमी होता है। मसलन जब हम 20 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में होते हैं तो हममें से अधिकतर ‘सब कुछ चलता है’ वाली स्थिति में होते हैं, लेकिन इस समय में भी हमें अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और सब कुछ भविष्य के लिए नहीं छोडऩा चाहिए। जरूरी है कि हम खाने के अनियमित समय से बचें और जंक फूड से भी अपने आपको बचाकर रखें। हमारी जीवनशैली में किसी न किसी किस्म की गतिविधि जैसे जिम, डांस, स्पोट्र्स या रनिंग शामिल होनी चाहिए और खाने में हमें स्वस्थ चीजें लेनी चाहिए जैसे फल, सब्जियां, चिकन, फिश, दही, पनीर, दाल और थोड़ा सा फैट।
जब हम 30 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में प्रवेश करते हैं तो शरीर में बहुत से हारमोनल परिवर्तन आते हैं विशेषकर महिलाओं में, जिन्हें नजरंदाज नहीं करना चाहिए। इस अवधि में स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली का होना उतना ही आवश्यक है जितना कि रोगों के रोकथाम के कार्यक्रम को अपनाना। साथ ही तनाव भी नियंत्रित रहना चाहिए। इस आयु वर्ग में महिलाओं के लिए कैल्शियम की कमी का खतरा बहुत ज्यादा रहता है इसलिए उन्हें अपने डॉक्टर के सुझाव पर कोई सप्लीमेंट लेना चाहिए। दोनों महिलाओं व पुरुषों को अधिक जोर पौष्टिक आहार और एक्सरसाइज पर देना चाहिए। 35 वर्ष की आयु होने पर प्रतिवर्ष हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए जैसे कोलेस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर, हड्डियों की जांच आदि।
जब हम 40 के हो जाते हैं तो अपने जीवन के बहुत नाजुक दौर में प्रवेश करते हैं क्योंकि पाचन क्रिया धीमी हो जाती है और शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। इसके अलावा कमर व जोड़ों में दर्द रहने लगता है और ओस्टियोपोरेसिस का खतरा, विशेषकर महिलाओं के लिए अधिक बढ़ जाता है। पुरुषों को भी जोड़ों के दर्द व मसूड़ों के रोगों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इनमें वृद्धि का अर्थ है हृदय रोगों से ग्रस्त हो जाना। वजन को नियंत्रित रखना भी बहुत जरूरी है। महिलाओं को रजोनिवृत्ति के प्रभाव से भी होशियार रहना चाहिए क्योंकि एस्ट्रोजन की कमी से ओस्टियोपोरेसिस की शिकायत हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिन में तीन बार पेट भरकर खाने से बेहतर है छोटे-छोटे मील दिन में चार या पांच बार लिये जायें जिनमें विशेष रूप से फल, सब्जियां, ओमेगा-3 युक्त मछली, थोड़ा सा जैतून का तेल विशेष रूप से शामिल हो। अदरक व लहसुन को नियमित सप्लीमेंट के तौर पर लेना चाहिए। यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपको पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन-सी और ई मिल रहे हैं। सक्रिय जीवनशैली भी बहुत जरूरी है। अगर स्पोट्र्स या जिम में दिलचस्पी नहीं है तो लम्बी वॉक पर जायें और हमेशा याद रखें कि वॉक लांगर, लिव लांगर यानी दूर तक चहलकदमी करो और देर तक जीवित रहो।
कब कराएं कौन सी जांच
शर्ट में अगर खोंता आते ही टांका लगा दिया जाये तो बड़ा रफू कराने से बचा जा सकता है। यही बात स्वास्थ्य पर भी लागू होती है कि समय रहते एहतियाती उपाय कर लिये जायें तो बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। इसलिए रोगमुक्त रहने के लिए आवश्यक है कि समय पर टीकाकरण (वैक्सीनेशन) हो जाये और नियमित चेकअप भी होता रहे। ध्यान रहे कि आजकल स्वाइन फ्लू, इन्फ्लुएंजा, सनस्ट्रोक आदि जो बीमारियां चल रही हैं उनको होने से रोका जा सकता है और इनके लिए होम्योपैथी में भी दवाएं उपलब्ध हैं। बहरहाल आपके स्वास्थ्य कार्यक्रम में टेस्ट, सेहत व खानपान की देखभाल, तनाव व जीवनशैली का प्रबंधन व टीकाकरण शामिल होना चाहिए। इसके अतिरिक्त अपनी आयु के हिसाब से भी नियमित टेस्ट कराते रहना चाहिए। इस संदर्भ में महिलाओं व पुरुषों के लिए आवश्यक सुझाव इस प्रकार हैं—
25 से 50 वर्ष के पुरुष तीन माह में एक बार ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रोल की जांच करायें। साथ ही साल में एक बार टीएमटी (टे्रडमिल टेस्ट) भी करायें ताकि हृदय की स्थिति मालूम हो सके। इस आयु वर्ग की महिलाओं को इन टेस्टों के अतिरिक्त पैप स्मेयर टेस्ट, हड्डियों के घनत्व का टेस्ट और थॉयराइड का टेस्ट भी कराना चाहिए।
अगर आप बीमार रहते हैं तो टीएमटी के साथ पीएफटी और इकोकार्डियोग्राफी भी करानी चाहिए ताकि आपको अपने हृदय की स्थिति ठीकठाक मालूम होती रहे। महिलाएं मेमोग्राफी भी करा सकती हैं, हालांकि ब्रेस्ट कैंसर अधिकतर 50-70 वर्ष के आयु वर्ग में होता है।
जब आप 50 या उससे अधिक वर्ष के हो जायें तो अगर पुरुष हैं तो प्रोस्टेट कैंसर के लिए पीएसए टेस्ट करायें और आंतों में किसी खराबी से बचने के लिए स्टूल स्क्रीन करायें। स्टूल स्क्रीनिंग महिलाओं को भी करानी चाहिए(दैनिक ट्रिब्यून,30.1.11)।
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