गुरुवार, 27 जनवरी 2011

फिटनेस के फेर में सेहत न कर लें खराब !

25 साल की नेहा के घुटनों में पिछले कुछ महीनों से दर्द था। कुछ समय बाद ठीक हो जाएगा यह सोचकर वह टालती रही, लेकिन पिछले दिनों दर्द इस कदर बढ़ गया कि डॉक्टर के पास जाना पड़ा। जांच करने पर पता चला कि लगातार रगड़ से घुटने कमजोर पड़ गए हैं और जल्द इलाज नहीं हुआ तो इन्हें बदलने की नौबत भी आ सकती है। इतनी कम उम्र में ऐसी दिक्कत क्यों हुई जानने के लिए जब उनकी प्रोफाइलिंग की गई तो पता लगा कि अचानक कैलोरी घटाने की वजह से ऐसा हुआ है। दरअसल, कुछ महीने पहले नेहा की ननद की शादी थी और शादी में परफेक्ट दिखने के लिए उसने दो महीने के लिए जिम जॉइन किया था। ट्रेड मिल करके तीन महीने में उसने करीब 15 किलो वजन कम कर लिया था।


इन दिनों इस तरह की दिक्कतें आम हो गई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास रोजाना ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें कम उम्र में ही घुटनों के खराब होने की शिकायत रहती है और इनमें से ज्यादातर की वजह कम समय में ज्यादा कैलोरी घटाने का नशा होता है। रॉकलैंड हॉस्पिटल के सीनियर ऑर्थोपीडीशियन डॉ. पी. के. दवे कहते हैं कि आजकल ज्यादातर लोग 3-6 महीने का जिमिंग टारगेट रखते हैं। 20 मिनट में 300 कैलोरी घटाने का लक्ष्य रखते हैं और इसके लिए वॉकिंग मशीन की स्पीड बढ़ाकर 9-10 किमी प्रति घंटा कर लेते हैं। ऐसे में वॉकिंग की जगह मशीन पर तेज रफ्तार से दौड़ लगाने जैसा होता है। ट्रेड मिल पर सामान्य स्पीड में वॉक करते समय घुटनों पर शरीर के वजन का ढाई गुना ज्यादा दबाव पड़ता है। ज्यादा स्पीड वाले टारगेट के लिए ज्यादातर युवाओं की शारीरिक स्थिति अनुकूल नहीं रह गई है, क्योंकि अधिकतर लोगों में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी है। धूप में घूमने और दूध पीने की आदत खत्म हो गई है। जंक फूड का इस्तेमाल बढ़ गया है। इन सभी कारणों से हड्डियां कमजोर हो गई हैं। जिम में लगातार घुटनों पर तेज दबाव से ये खराब हो सकते हैं।

सीनियर फिजीशियन डॉ. ए. के. झिंगन कहते हैं कि ऐसा जिम जॉइन करें, जहां ट्रेनर हों। इससे पहले डॉक्टर और डायटीशियन से खान-पान और दिनचर्या के बारे में सलाह लें। फिट रहने का बेस्ट तरीका है रोजाना 50 मिनट की वॉकिंग। बेहतर है घास के ऊपर चलना। इन दिनों पार्कों में अलग से ईंटों का जॉगिंग ट्रैक बनाने का चलन भी ठीक नहीं है, क्योंकि जॉगिंग के दौरान अगर पैरों के नीचे घास का सपोर्ट रहता है तो घुटनों पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता। यही बात जॉगिंग के जूतों पर भी लागू होती है। इसलिए कोई भी जूते पहनकर वॉक न करें। जॉगिंग के लिए स्पोर्ट्स शूज का इस्तेमाल करें जिनके तलवों में कुशन का सपोर्ट रहता है। स्पीड अधिकतम 5-6 किमी प्रति घंटा रखें। अगर जिम जाते हैं तो एकदम से 9 किमी की स्पीड पर भागने के बजाय धीरे- धीरे अपनी क्षमता के हिसाब से वॉकिंग मशीन की स्पीड बढ़ाएं। पहले कुछ दिन 4 किमी की स्पीड रखें, इसके बाद 6 किमी करें फिर सात और आठ तक ले जाएं। सीनियर फिटनेस एक्सपर्ट सोनिया नारंग कहती हैं कि एक्सरसाइज के दौरान शरीर में तरल पदार्थों और पौष्टिक तत्वों की जरूरत भी बढ़ जाती है। ऐसे में, खूब पानी पीएं, हरी सब्जियां और ताजे फल ज्यादा मात्रा में लें।

इन बातों का रखें ध्यान - जिम का नियम होता है कि जॉइन करने के पहले महीने में सिर्फ वॉर्म अप और दूसरे महीने से धीरे - धीरे बाकी एक्सरसाइज शुरू की जाए। एक साथ सारी मशीनों के साथ एक्सपेरिमेंट करके जल्द से जल्द मनचाही फिजीक पाने का शौक खतरनाक साबित हो सकता है।

हर किसी की होती है अलग डिमांड - हर किसी के शरीर की मांग अलग होती है। एक एक्सरसाइज सबके लिए अच्छा नहीं हो सकता है। डायटीशियन और फिजियोथेरपिस्ट की सलाह से शरीर की बनावट और उसकी जरूरतों के हिसाब से ही ट्रेनर वर्क आउट , एक्सरसाइज और डाइट प्लान करता है , जिसका पूरी तरह से पालन करना चाहिए(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,27.1.11)।

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