भारत समेत दुनियाभर में मोबाइल का इस्तेमाल जितनी तेजी से बढ़ा है उतने ही ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य का खतरा भी पैदा हो गया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जो लोग मोबाइल को अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं वह सावधान हो जाएं। इस संचार उपकरण के कारण आप कई तरह के त्वचा संक्रमण से पीडि़त हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि कॉस्मेटिक्स से लेकर ज्वेलरी और बॉडी पियर्सिग से लेकर टैटू तक एलर्जी का कारण बन सकते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी (एसीएएआइ) के शोधकर्ता लुज फोनेसियर ने कहा कि अनलिमिटेड टॉक टाइम वाली योजनाओं के साथ मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इससे फोन में मौजूद हानिकारक निकिल के शरीर से संपर्क के खूब मौके मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीज अपने गालों, होठों और कानों पर सूखे और खुजाए हुए दाग लेकर आते हैं और उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं होता कि इस बीमारी का आखिर कारण क्या है। निकिल बेहद आम संक्रामक तत्व है और 17 फीसदी महिलाओं व तीन फीसदी पुरुषों पर बुरा असर डालता है। चाबी, सिक्के या पेपर क्लिप जैसी निकिलयुक्त चीजों के साथ व्यक्ति का संपर्क काफी कम समय के लिए होता है। इसलिए ऐसी चीजों के संपर्क में आने वाले शरीर के हिस्से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं। हालांकि इस संक्षिप्त संपर्क के बावजूद निकिल अंगुलियों के जरिए चेहरे तक जा सकता है और आंखों में खुजली का कारण बन सकता है। सेलफोन, ज्वेलरी, घडि़यों और चश्मे के फ्रेम जैसी निकिलयुक्त वस्तुओं का इस्तेमाल खतरे को लगातार बढ़ा रहा है। इसे सीधे त्वचा के संपर्क से बचाना ही सर्वश्रेष्ठ हल है। फोनेसियर ने सुझाव दिया कि सेलफोन के इस्तेमाल से पहले उस पर प्लास्टिक कवर लगा लें और ताररहित इयरफोन का प्रयोग करें या ऐसे फोन को खरीदें जिसकी बाहरी बॉडी, जो त्वचा के संपर्क में आती है, मेटल की बनी हुई न हो। बॉडी पियर्सिग और टैटू आपको यदि बॉडी आर्ट (पियर्सिग और टैटू) का शौक है तो जरा सावधानी बरतें क्योंकि यह भी संक्रमण का कारण बन सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, 18 से 50 साल तक के 24 फीसदी लोग टैटू गुदवाते हैं जबकि 14 फीसदी बॉडी पियर्सिग कराते हैं। फोनेसियर ने कहा कि टैटू से संक्रमण उसमें इस्तेमाल किए गए रंगों के कारण आता है। कॉस्मेटिक्स शोधकर्ताओं ने बताया कि सभी जानते हैं कि रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले कॉस्मेटिक उत्पादों में कई तत्व शामिल होते हैं। ये एलर्जी का कारण बन सकते हैं। सामान्य इस्तेमाल वाले 12 उत्पादों में औसतन 168 रसायनिक तत्व होते हैं। इसमें से कई संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इस अध्ययन के परिणामों पर फीनिक्स में एसीएएआइ की सालाना बैठक में चर्चा की गई है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,27.1.11 में वाशिंगटन की रिपोर्ट)।
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