सोमवार, 3 जनवरी 2011

भारत में स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए विदेशी मरीज की भरमार

कई बीमारियों से पूरी तरह मुक्ति दिलाने वाले स्टेम सेल प्रत्यारोपण काफी सस्ता होने के कारण विदेशियों के लिए भारत आकर्षण का केंद्र बन रहा है। हालांकि मरीजों की मांग के अनुरूप सुविधा नहीं उपलब्ध होने के कारण मरीजों को काफी समय तक इंतजार भी करना पड़ता है।
बीमारियों के कारण क्षतिग्रस्त टिश्यू को हटाकर नए सेल को प्रत्यारोपण करने की विधि को स्टेम सेल प्रत्यारोपण कहा जाता है। इससे न सिर्फ कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है बल्कि दुर्घटना के शिकार मरीजों का इलाज किया जाता है। यह सुविधा एम्स, टाटा मेमोरियल सेंटर, आर्मी अस्पताल, सीएमसी वेल्लोर समेत देश के 11 केंद्रों में उपलब्ध है।
एम्स के मेडिकल आंकोलॉजी विभाग के प्रो.ललित कुमार का कहना है कि विदेश में स्टेम सेल प्रत्यारोपण का खर्च एक करोड़ से भी ज्यादा आता है जबकि भारत के निजी अस्पतालों में दस से बारह लाख रुपये में ही प्रत्यारोपित हो जाता है। सरकारी अस्पतालों में तो मात्र तीन से छह लाख में हो जाता है। उनका कहना है कि कैंसर के इलाज में स्टेम सेल की सफलता दर 50 फीसदी है। वंशानुगत रोग बीटा थेलिसिमिया और एप्लास्टिक एनिमिया के इलाज में सफलता दर 70 से 80 फीसदी है। उनका कहना है कि भारत में प्रतिवर्ष 500 लोगों का ही स्टेम सेल प्रत्यारोपण हो पाता है। जबकि जरूरत इससे कई गुना ज्यादा मरीजों को है। प्रो.कुमार का कहना है कि देश में स्टेम सेल बैंक की स्थापना करना बेहद जरूरी है जिससे स्टेम सेल दान करने वालों का पंजीकरण हो सके(अमर उजाला,दिल्ली,2.1.11)।

3 टिप्‍पणियां:

  1. विदेश में स्टेम सेल प्रत्यारोपण का खर्च एक करोड़ से भी ज्यादा आता है जबकि भारत के निजी अस्पतालों में दस से बारह लाख रुपये में ही प्रत्यारोपित हो जाता है। सरकारी अस्पतालों में तो मात्र तीन से छह लाख में हो जाता है। ISI LIYE TO KAHAT HAI JYADA DENE WALA AUR SASTE BYAWAHAR WALE DHANI HOTE HAI.MERA DESH MAHAN . SIR.THANK YOU.

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  2. सही कहा आपने, लेकिन कहीं इसका दुष्‍परिणाम यह न हो कि भारतीयों को इसका खामियाजा मंहगे इलाज के लिए न उठाना पडे।

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    मिल गया खुशियों का ठिकाना।

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  3. भारतीयों के लिए तो तीन लाख भी करोडो़ के समान हैं। चलिए कुछ ईलाज की आशा तो है कम से कम।

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