हमारा स्वास्थ्य बहुत हद तक हमारे दांतों पर निर्भर करता है । यदि बचपने से ही दांतों पर ध्यान दिया जाए तो बहु त हद तक दांतों और मुंह की बीमारियों से बचा जा सक ता है । लोगों में बच्चों के दूध के दांत को लेकर कई तरह की भ्रांतियां देखने को मिलती है । यदि बच्चों के दूध के दांत की सफाई उचित तरीके से की जाए और उन्हें समय से पहले टूटने से बचाया जाए तो बाद में आने वाले दांत जो कि परमानेंट होते हैं हमेशा स्वस्थ और सुंदर दिखेंगे। दूध के दांत के गिरने का समय निर्धारित होता है प्राय: ऐसा देखा जाता है कि दूध के दांतों में कीड़े लग जाते हैं और माता-पिता ऐसा सोचते हैं कि ये तो दूध के दांत हैं , इन्हें निकलवा देने से ये फिर से आ जाएंगे। लेकिन उन्हें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इन दांतो के गिरने का भी अपना समय निर्धारित होता है । जैसे, ऊपर के आगे के दो दांत सात वर्ष की उम्र में गिर जाते हैं । फिर परमानेंट दांत भी इसी उम्र में आ जाते हैं ।
बच्चों को डराए नहीं, प्यार से ब्रश करने की आदत डलवाएं । यदि दूध का दांत समय से पहले टूट जाता है या फिर समय बीत जाने के बाद भी मसूढ़े से लगा रहता है तो दोनों ही स्थिति में यह अच्छा नहीं माना जाता। ऐसा होने से दांत टेढ़े -मेढ़े और बदसूरत हो सकते हैं । और दांत यदि टेढ़े -मेढ़े होंगे तो उनकी सफाई अच्छी तरह से नहीं हो सकेगी और दांतों और मुंह की बीमारियां शुरू हो जाएंगी। जैसे, मुंह से बदबू आना, दांतों में कीड़े लगना, मसूढ़ों से खून आना, दांतों पर गंदगी का इकट्ठा होना आदि। इसलिए ,इन सारी परेशानियों से बचने के लिए माता-पिता को अपने बच्चों के दांतों पर शुरू से ध्यान देना चाहिए। उन्हें बच्चों को शुरू से ही दांतों को साफ रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। दांतों को लेकर उन्हें डराना नहीं चाहिए। उन्हें ब्रश करवाने के लिए डेंटिस्ट या इंजेक्शन का डर नहीं दिखाना चाहिए। उन्हें प्यार से रोजाना दो बार ब्रश करवाने की आदत डलवानी चाहिए(डॉ. विनीता कुमारी,हिंदुस्तान,पटना,3.12.2010)।
Achchi jaankaaari ke liye Badhai ho !
जवाब देंहटाएंMai es blog par pahli baar aaya hoo ab pata chal ki yaha humaari health ke liye bhaut kuch hai........!
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