दुनिया की पहली कृत्रिम किडनी तैयार कर ली गई है। कॉफी के कप जितनी बड़ी इस किडनी का प्रत्यारोपण किया जा सकता है। खास बात यह है कि भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता की अगुवाई में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज करने का दावा किया है।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय की शुवो रॉय और उनके सहयोगियों ने एक ऐसी कृत्रिम किडनी का निर्माण किया है जो न केवल खून को साफ करती है बल्कि इंसानी किडनी की कोशिकाओं का उपयोग कर रक्तचाप नियंत्रित करने और विटामिन डी के निर्माण का काम भी करती है।
टीम ने इसका परीक्षण जानवरों पर किया है और अब वे इसका प्रयोग इंसानों पर भी करने जा रहे हैं। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा प्रकाशित पत्रिका टेक्नोलॉजी रिव्यू में रॉय ने कहा कि डायलिसिस न केवल काफी समय लेता है बल्कि कमजोर भी बनाता है। कई मरीज इससे अच्छा महसूस नहीं करते। कृत्रिम किडनी के दो हिस्से हैं। एक मैं सिलिकन के बेहद बारीक फिल्टर हैं, जो खून के अपने दबाव से शुगर, सॉल्ट, पानी और दूसरे तत्वों को छान लेते हैं। किडनी के दूसरे चैम्बर में इंसानी किडनी के सेल्स की परत होती है, जिससे गुजर कर कुछ शुगर, सॉल्ट और पानी फिर से खून में लौट आते हैं। यहीं विटामिन-डी भी बनता है। इस प्रोसेस से खून का जरूरी प्रेशर कायम रहता है। नॉर्मल किडनी भी ऐसा ही करती है, लेकिन किडनी के फेल हो जाने पर जिस डायलिसिस से काम लिया जाता है, वह ऐसा नहीं कर पाता। नई किडनी न केवल खून साफ करती है बल्कि कई तरह के काम निपटाती है जा डायलिसिस नहीं कर पाती।
आशा करें कि इससे अवैध किडनी व्यापार पर असर पड़ेगा!!
जवाब देंहटाएंCRF के रोगियों के लिए राम बाण साबित होगी यह खोज ।
जवाब देंहटाएंइससे एक बड़ी विकट समस्या का निवारण होगा, ऐसी आशा जगी है।
जवाब देंहटाएंmedical jagat me very sarthak safalata.
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