सर्दियां शुरू होते ही पंजाब में मुर्गे के मुकाबले मछली की मांग बढ़ जाती है। इसी का फायदा उठाने के लिए व्यापारी इन दिनों मछली का भंडारण कर रहे हैं। मछलियों को सड़ने से बचाने तथा दुर्गध रोकने के लिए उस पर मुर्दे पर लगाए जाने वाले फार्मालीन नामक केमिकल का लेप किया जा रहा है। यह केमिकल इतना खतरनाक है कि इसके लेप वाली मछलियों का सेवन करने से कैंसर हो सकता है। किडनियां फेल हो सकती हैं। व्यवसाय से जुड़े गुरजीत सिंह वालिया कहते हैं कि मुंबई और गुजरात से आने वाली उस हर मछली पर यह रसायन लग रहा है, जो पांच दिन से ज्यादा पुरानी हो चली है। इस बारे में फाइव एलीमेंट हेल्थ एंड एजुकेशनल सोसायटी के डा.जोगिंदर टाइगर कहते हैं कि केमिकल से मछली ताजा तो दिखती है, लेकिन मालफंक्शनिंग सुस्त हो जाती है। मछली खाने से वैसे ही यूरिक एसिड बनता है,फार्मालीन के असर से यह ज्यादा बनने लगता है और किडनी के क्त्रेटिनन बढ़ने से सूजन आ जाती है। धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देती है। पंजाब एकेडमी ऑफ फारेंसिक मेडिसीन एंड टाक्सिकालॉजी के चेयरमैन डा. डीएस भुल्लर कहते हैं कि जितना फार्मालीन अमेरिका से आता है उसका प्रयोग कहां हो रहा है, यह तय होना चाहिए। सिविल सर्जन एसएल महाजन का कहना है कि मछलियों के मामले में खाद्य विभाग की कोई भूमिका नहीं है। कौन सी मछली खाने लायक है अथवा नहीं, यह बताना और जांच करना मछली पालन विभाग का काम है। वहीं, मछली पालन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वीके डोगरा ऐसे किसी तरह के केमिकल लगाए जाने की जानकारी होने से इंकार करते हैं। वे कहते हैं कि मछली को प्रिजर्व करने को एक्वेरियम का तो प्रयोग हो रहा है, लेकिन वहां रखी मछली को खाने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता(भूपेश चट्ठा,दैनिक जागरण,पटियाला,4.12.2010)।
उफ़्फ़! भगवान बचाए ऐसे व्यापारियों से।
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