मानसिक रोगियों को अब घर पर ही विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा चिकित्सा देखभाल मिल सकेगी। घर के अलावा भी जहां कहीं ऐसे मानसिक रोगी रह रहे होंगे, उन्हें वहीं पर्याप्त चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
अभी तक इस सहायता के लिए रोगियों को शाहदरा स्थित इहबास अस्पताल ले जाना पड़ता था। दिल्ली की स्वास्थ्य मंत्री प्रो किरण वालिया ने बताया कि दिल्ली सरकार जल्द ही मानसिक रोगियों के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा वैन शुरू करने जा रही है। इस सेवा के अंतर्गत वरिष्ठ डॉक्टरों की निगरानी में यह वैन घर-घर जाकर मानसिक रोगियों का उपचार करेगी।
इस चिकित्सा वैन में वरिष्ठ डॉक्टर तो मौजूद रहेंगे ही, साथ ही इसमें सभी आवश्यक व आधुनिक उपकरण भी लगाए गए हैं। शुरुआती दौर में सरकार दो वैन के जरिए यह सेवा शुरू करेगी व बाद में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
प्रो वालिया के मुताबिक स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रही स्वयं सेवी संस्थाओं को कहा जाएगा कि वे अपने यहां मानिसक रोगियों के लिए चिकित्सा वैन के माध्यम से बचाव सेवा शुरू करें। दरअसल खुद डॉक्टर मानते हैं कि भागम भाग वाली जिंदगी में मानसिक रोगियों की विशेष जरूरतें समझने की आवश्यकता है।
इस पर भी कई रोगी ऐसे होते हैं, जिन्हें आसानी से लाना ले जाना संभव नहीं होता। ऐसे में यह चिकित्सा व्यवस्था रोगियों को काफी लाभ पहुंचा सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मानसिक रोगियों की देखभाल के लिए तैनात किए जाने वाले काउंसलरों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह बात इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में मानसिक रोगी स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह के आरम्भ के अवसर पर कही। इस अवसर पर यहां इहबास द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं उपयोगकर्ताओं और उनके दृष्टिकोण पर पर एक संगोष्ठि आयोजित की गई।
इस मौके पर सबसे खास बात यह रही कि यहां मानसिक रोगियों ने अपने अनुभव संगोष्ठी में मौजूद सभी लोगों के साथ साझा किए। कई रोगियों ने बताया कि मानसिक रोग होने के बाद समाज का उनके प्रति व्यवहार कैसा रहा व उन्हें कैसे और कब सही उपचार प्राप्त हो सका।
मानसिक रोगियों से इस अनुभव ने लोगों को न केवल उनकी परेशानियों के बारे में जानने को मिला बल्कि डॉक्टरों भी यह समझ सकें कि किस प्रकार का उपचार रोगी को लाभ पहुंचाने में सक्षम है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,9.12.2010)।
इस मौके पर सबसे खास बात यह रही कि यहां मानसिक रोगियों ने अपने अनुभव संगोष्ठी में मौजूद सभी लोगों के साथ साझा किए। कई रोगियों ने बताया कि मानसिक रोग होने के बाद समाज का उनके प्रति व्यवहार कैसा रहा व उन्हें कैसे और कब सही उपचार प्राप्त हो सका।
मानसिक रोगियों से इस अनुभव ने लोगों को न केवल उनकी परेशानियों के बारे में जानने को मिला बल्कि डॉक्टरों भी यह समझ सकें कि किस प्रकार का उपचार रोगी को लाभ पहुंचाने में सक्षम है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,9.12.2010)।
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