बुधवार से सिगरेट, बीड़ी एवं तंबाकू उत्पादों के तमाम पैकेटों पर बिच्छू की जगह मुंह के कैंसर का दहला देने वाला चित्र छापने की अधिसूचना लागू हो गई। हालांकि यह अधिसूचना उन्हीं पैकेटों पर लागू होगी जिनका उत्पादन एक दिसंबर को या उसके बाद होगा। मतलब तंबाकू पीने या खाने वालों को पैकेटों पर यह चित्र बहुत दिनों तक नहीं दिखने वाला है। तंबाकू कंपनियों ने इस अधिसूचना को देखते हुए पहले ही भारी उत्पादन कर लिया है।
तंबाकू सेवन पर रोक लगाने के लिए सक्रिय संगठनों को आशंका है कि तंबाकू कंपनियों की लॉबी इस अधिसचूना को रद्द कराने की जुगत में लगी है। अगर ऐसा हुआ तो पैकेटों पर यह चित्र कभी नहीं दिख पाएगा। इस बीच तंबाकू के खिलाफ अभियान की अग्रणी संस्था वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के तंबाकू के ५० रिटेल आउटलेट का दौरा किया। उन्हें कहीं भी पैकेट पर इस चित्र के साथ तंबाकू उत्पाद नहीं मिला। इस चित्र की स्वास्थ्य मंत्रालय की पहली अधिसूचना एक जून को ही लागू होनी थी, लेकिन १७ मई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना के जरिए वह तिथि एक दिसंबर कर दी। आरोप है कि मंत्रालय ने तंबाकू लॉबी के दबाव में ऐसा किया। तंबाकू के खिलाफ अभियान से जुड़े संगठनों का मानना है कि इन छह महीनों में तंबाकू कंपनियों को भारी उत्पादन करने का मौका भी मिल गया। इन संगठनों को यह अंदेशा भी है कि तंबाकू लॉबी इस स्टॉक के खत्म होने तक मुंह में कैंसर वाले चित्र की अधिसूचना रद्द कराने में सफल हो जाएगी। वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन के प्रवक्ता बिनाय मैथ्यू ने कहा कि इस चित्र पर अभी भी तंबाकू लॉबी का साया मंडरा रहा है। उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ अधिकारियों से यह संकेत मिल रहा है। मैथ्यू ने बताया एसोसिएशन को विभिन्न स्रोतों से यह पता चला है कि पिछले दिनों इस मसले पर गठित मंत्रिसमूह की बैठक में तंबाकू व्यापार को प्रभावित करने वाले वीभत्स चित्र को टालने का फैसला लिया गया(नई दुनिया,दिल्ली,2.12.2010)।
इसी विषय पर आज नई दुनिया का ही संपादकीयः
घपलों-घोटालों और दलालों के अखिल भारतीय कर्कश कोलाहल के बीच काफी दिनों बाद एक अच्छी खबर सरकार की ओर से आई है। खबर यह है कि अब बाजार में बिकने वाले सिगरेट के सभी पैकेटों पर धूम्रपान के खिलाफ वैधानिक चेतावनी के साथ कैंसर से विकृत हुए मुंह वाले चित्र भी देखने को मिलेंगे। तंबाकू नियंत्रण से संबंधित सरकार की यह नीति हालांकि एक दिसंबर से लागू हो गई है लेकिन नई सचित्र चेतावनी छपे पैकेटों को बाजार तक आने में अभी कुछ दिन और लगेंगे। गौरतलब है कि खतरे की चेतावनियों से संबंधित तस्वीरों के जरिए तंबाकू से होने वाले नुकसान के खिलाफ अभियान चलाने वाले देशों में फिलहाल भारत सौवें नंबर है। भारत को यह स्थान संयुक्त राष्ट्र की "तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियों के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्थिति" नामक रिपोर्ट में मिला है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत उन देशों में शुमार है जिन्होंने तंबाकू नियंत्रण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि (एफसीटीसी) पर दस्तखत किए हैं और तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी प्रदर्शित करने की मांग करने वाले देशों में भी २००३ तक भारत सबसे आगे था। लेकिन इस पर अमल करने के मामले में सौवें पायदान पर पहुंचने के बाद इस मामले में भारत सरकार की नींद टूटी। भारत में तंबाकू और उससे बने अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से होने वाले रोगों के कारण प्रतिदिन लगभग ढाई हजार लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का ही एक अध्ययन बताता है कि अपने देश में ४० फीसदी स्वास्थ्य समस्याएं तंबाकू उत्पादों की देन हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी तंबाकू जनित बीमारियों को भारत के लिए अगले दो दशक में टीबी और एड्स से बड़ा खतरा बता चुका है। भारत में अभी तक सिगरेट के पैकेटों पर आधे-अधूरे मन से छापी जाने वाली बेअसर तस्वीरों के मुकाबले बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, उरुग्वे और थाईलैंड जैसे देशों ने अपने यहां इस मामले में ज्यादा सख्ती से नियम-कायदे लागू कर रखे हैं। मगर हमारी सरकार तंबाकू लॉबी के दबाव में कोई कारगर कदम उठाने में अब तक संकोच करती रही। कोई तीन साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदॉस ने भी मंजूर किया था कि अनाप-शनाप मुनाफा कमा रहे तंबाकू उद्योग घरानों के साथ-साथ कई मुख्यमंत्री और लगभग डेढ़ सौ सांसद उन पर दबाव डाल रहे हैं कि तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर सचित्र चेतावनी छापने के लिए बनाए जाने वाले कानून को नरम रखा जाए। अपने नागरिकों की सेहत के लिए फिक्रमंद होना किसी भी लोक कल्याणकारी और जवाबदेह सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर होना चाहिए। सरकार ने कई दिनों की टाल-मटोल के बाद अगर इस मामले में अब जाकर अपनी जवाबदेही समझते हुए कोई कदम उठाया है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
घपलों-घोटालों और दलालों के अखिल भारतीय कर्कश कोलाहल के बीच काफी दिनों बाद एक अच्छी खबर सरकार की ओर से आई है। खबर यह है कि अब बाजार में बिकने वाले सिगरेट के सभी पैकेटों पर धूम्रपान के खिलाफ वैधानिक चेतावनी के साथ कैंसर से विकृत हुए मुंह वाले चित्र भी देखने को मिलेंगे। तंबाकू नियंत्रण से संबंधित सरकार की यह नीति हालांकि एक दिसंबर से लागू हो गई है लेकिन नई सचित्र चेतावनी छपे पैकेटों को बाजार तक आने में अभी कुछ दिन और लगेंगे। गौरतलब है कि खतरे की चेतावनियों से संबंधित तस्वीरों के जरिए तंबाकू से होने वाले नुकसान के खिलाफ अभियान चलाने वाले देशों में फिलहाल भारत सौवें नंबर है। भारत को यह स्थान संयुक्त राष्ट्र की "तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियों के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्थिति" नामक रिपोर्ट में मिला है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत उन देशों में शुमार है जिन्होंने तंबाकू नियंत्रण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि (एफसीटीसी) पर दस्तखत किए हैं और तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी प्रदर्शित करने की मांग करने वाले देशों में भी २००३ तक भारत सबसे आगे था। लेकिन इस पर अमल करने के मामले में सौवें पायदान पर पहुंचने के बाद इस मामले में भारत सरकार की नींद टूटी। भारत में तंबाकू और उससे बने अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से होने वाले रोगों के कारण प्रतिदिन लगभग ढाई हजार लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का ही एक अध्ययन बताता है कि अपने देश में ४० फीसदी स्वास्थ्य समस्याएं तंबाकू उत्पादों की देन हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी तंबाकू जनित बीमारियों को भारत के लिए अगले दो दशक में टीबी और एड्स से बड़ा खतरा बता चुका है। भारत में अभी तक सिगरेट के पैकेटों पर आधे-अधूरे मन से छापी जाने वाली बेअसर तस्वीरों के मुकाबले बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, उरुग्वे और थाईलैंड जैसे देशों ने अपने यहां इस मामले में ज्यादा सख्ती से नियम-कायदे लागू कर रखे हैं। मगर हमारी सरकार तंबाकू लॉबी के दबाव में कोई कारगर कदम उठाने में अब तक संकोच करती रही। कोई तीन साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदॉस ने भी मंजूर किया था कि अनाप-शनाप मुनाफा कमा रहे तंबाकू उद्योग घरानों के साथ-साथ कई मुख्यमंत्री और लगभग डेढ़ सौ सांसद उन पर दबाव डाल रहे हैं कि तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर सचित्र चेतावनी छापने के लिए बनाए जाने वाले कानून को नरम रखा जाए। अपने नागरिकों की सेहत के लिए फिक्रमंद होना किसी भी लोक कल्याणकारी और जवाबदेह सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर होना चाहिए। सरकार ने कई दिनों की टाल-मटोल के बाद अगर इस मामले में अब जाकर अपनी जवाबदेही समझते हुए कोई कदम उठाया है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
चित्र छापकर जन-जाग्रति लाना एक सार्थक कदम होगा, लेकिन स्वार्थी तम्बाकू व्यापारी इसे चलने नहीं देंगे। दुखद !
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं लगता, कि जो सिगरेट पीते हैं, उनको इस से होने वाले नुक्सान का ज्ञान नहीं होगा.
जवाब देंहटाएंसब को सब पता होता है, फिर भी पीते हीं.
पीने वाले को तो पीने का बहाना चाहिए, आप जो मर्ज़ी कहिये.
वैसे सरकार की तरफ से अच्छा कदम है.