हेपेटाइटिस को ज्यादातर लोग गंभीरता से नहीं लेते लेकिन यह एक लाइलाज बीमारी है। फरीदाबाद शहर के लोगों को भी अब यह बीमारी अपने आगोश में ले चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के इस साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक हेपेटाइटिस के कुल 26 मामले सामने आए हैं।
दूषित पानी हो सकता है कारण
हेपेटाइटिस बीमारी का कारण दूषित पानी भी हो सकता है। इस इस बात से जिला अस्पताल के सीनियर डॉ . वीरेंद्र यादव भी इत्तफाक रखते हैं। डॉ . यादव का कहना है कि इस बीमारी में मुख्य रूप से लीवर में सूजन आ जाती है। गंदे पानी से हेपेटाइटिस - ए का वायरस सबसे तेजी से फैलता है। यह एक लाइलाज बीमारी है। वैसे तो कई मामलों में हेपेटाइटिस - ए का वायरस अपने आप खत्म हो जाता है लेकिन कई बार ऐसे मामले भी सामने आ जाते हैं जब यह बीमारी बढ़कर हेपेटाइटिस - बी का रूप ले लेती है और सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होती है। हेपेटाइटिस - बी का वायरस कई बार जानलेवा साबित हो सकता है।
रक्तदान सीवरों के सैंपल से खुलासा
शहर में ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता का अभाव है। अब तक जो ये 26 मामले सामने आए हैं ये सभी रक्तदान में आने वाले ब्लड की टेस्टिंग के बाद सामने आए हैं। इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि लोगों में जागरूकता हो। हालांकि जिला अस्पताल में सिर्फ ब्लड डोनेशन कैंपों में आने वाले ब्लड में से ही इसकी जांच की जाती है। अलग से अगर कोई हेपेटाइटिस की जांच करवाना चाहे तो इसकी सुविधाअस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
समय पर पता चले तो हो सकता है इलाज
बल्लभगढ़ स्थित एम्स के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ . संजय रॉय ने बताया कि अगर हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो दवाइयों के जरिये इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। कई मामलों में यह बात स्पष्ट भी हो चुकी है , लेकिन यह जरूरी है कि सही समय पर इस बीमारी के बारे में पता चल जाए। उनका कहना है कि एड्स की तरह इस बीमारी की जांच भी करा लेनी चाहिए(नवभारत टाइम्स,फरीदाबाद,वर्षांत-2010)।
नोटःइस ब्लॉग पर कुछ ही दिन पूर्व हैपेटाइटिस पर एक विस्तृत आलेख प्रकाशित किया गया था जिसे यहां देखा जा सकता है।
समय पर पता चले तो हो सकता है इलाज
बल्लभगढ़ स्थित एम्स के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ . संजय रॉय ने बताया कि अगर हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो दवाइयों के जरिये इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। कई मामलों में यह बात स्पष्ट भी हो चुकी है , लेकिन यह जरूरी है कि सही समय पर इस बीमारी के बारे में पता चल जाए। उनका कहना है कि एड्स की तरह इस बीमारी की जांच भी करा लेनी चाहिए(नवभारत टाइम्स,फरीदाबाद,वर्षांत-2010)।
नोटःइस ब्लॉग पर कुछ ही दिन पूर्व हैपेटाइटिस पर एक विस्तृत आलेख प्रकाशित किया गया था जिसे यहां देखा जा सकता है।
बहुत ही अच्छी जानकारी... आभार .नूतन वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी. आभार.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.