भारत सरकार के रसायन एवं खाद्य मंत्रालय की तरफ से गुड़गांव में खोले गए जन औषधि मेडिकल स्टोर को बंद किया जा रहा है। मरीज को सस्ती दरों पर दवा देने की प्लानिंग 22 महीने 10 दिन में ही दम तोड़ गई। जिला उपायुक्त का कहना है कि सरकारी हॉस्पिटल में मरीज को मिलने वाली फ्री दवा ही इस स्टोर पर उपलब्ध है। इस कारण आमदनी नहीं हो रही है। हालांकि पहले बताया गया था कि इसे नो प्रॉफिट नो लॉस पर चलाया जाएगा।
जिला उपायुक्त ने गांव मोलाहेड़ा एक समारोह में कहा कि सरकारी हॉस्पिटल स्थित जन औषधि मेडिकल स्टोर को बंद किया जाएगा। उल्लेखनीय यह है कि सरकारी हॉस्पिटल में जन औषधि मेडिकल स्टोर का 22 फरवरी 2009 को भारत सरकार ने स्थापित किया था। जेनरिक औषध स्टोर को जिला प्रशासन के माध्यम से चलाए जाने का प्रावधान रखा गया था। भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट नो लोस नो प्राफिट के मकसद से गरीब मरीजों को सस्ती दरों पर दवा उपलब्ध कराना था।
देश का पहला स्टोर था गुड़गांव में यह देश का पहला स्टोर था। इसके शुभारंभ के मौके पर तत्कालीन मंत्री राम विलास पासवान ने देश में ऐसे हजारों स्टोर खोलने की घोषणा की थी। इसी के बाद भी देश के शहरों में स्टोर खोले गए हैं। मंत्री महोदय ने कहा था कि गुड़गांव को पहले इस लिए चुना है क्यों कि यहां पर लाखों मंे मजदूर लोग रहते हैं। हरियाणा में गुड़गांव के अलावा यमुना नगर व पंचकूला में खोला गया है। पंजाब में इस को बड़े स्तर पर बढ़ाया गया है। बताया जा रहा है कि लग भग 20-22 जन औषधि मेडिकल स्टोर खोले जा चुके हैं। इसी तरह पड़ोसी राज्य राजस्थान में इन की संख्या 40 पहुंच गई है। और देश में 100 से ज्यादा स्टोर खोले जा चूके हैं। ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग ऑफ इंडिया (बीपीपीटी)के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर पी. वेंकेटेशन का कहना है कि देश में यह स्टोर खोले जा रहे हैं और मरीजों को फायदा मिल रहा है। गुड़गांव में इसे क्यों बंद किया जा रहा है इस की जानकारी उन्हें नहीं है। फॉर्मासिस्टों का कहना है कि अगर इसमें वैराइटी बढ़ा दी जाएं तो इन्हें बंद करने की आवश्यकता नहीं रहेगी(अनिल भारद्वाज,नवभारत टाइम्स,गुड़गांव,वर्षांत-2010)।
दु:खद समाचार।
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साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है?