शनिवार, 18 दिसंबर 2010

हर मोड़ पर बिक रहा है दिल का दुश्मन ट्रांस फैट एसिड

छोटे-बड़े होटल से लेकर दिल्ली की हर गली में पिज्जा, छोले-भठूरे, समोसे, पकौड़े, टिक्की आदि खाते बच्चे ही नहीं कामकाजी पुरुष एवं महिलाओं को भी देखा जा सकता है। लेकिन इन लोगों को नहीं पता कि जल्दी-जल्दी में पेट भरने के चक्कर में यह लोग मधुमेह और हृदय रोग सहित कैंसर तक को न्योता दे रहे हैं। इन रंग-बिरंगे तले हुए खाद्य पदार्थो के साथ-साथ आप धीमा जहर 'ट्रांस फैट एसिड' भी खरीद रहे हैं। वर्ष 2006 में न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में यह विशेष रूप से बताया गया है कि ट्रांस फैट एसिड के सेवन से हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है। यही नहीं मधुमेह और कई तरह के कैंसर से भी फैट एसिड का सीधा संबंध है। मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरुषोत्तम लाल बताते हैं कि खानपान से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं भयानक रूप धारण कर रही है। जरूरत है कि लोग समय रहते चेत जाएं एवं सही जीवनशैली अपनाएं। ऐसा न करने पर ट्रांस फैट एसिड जीवन के तीसरे दशक में ही मधुमेह व हृदय रोग दे सकता है।
क्या है ट्रांस फैट एसिड!
ऐसा तेल जिसमें हाइड्रोजन होता है, लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन नामक हानिकारक कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाता है एवं अच्छे कॉलेस्ट्रोल हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को घटाता है। यह हाइड्रोजन युक्त तेल वसा में रासायनिक परिवर्तन कर देता है जिससे तेल ज्यादा समय तक इस्तेमाल करने लायक तो हो जाता है लेकिन वह दिल के लिए हानिकारक साबित होता है। बार-बार गर्म किए जाने वाले तेल, तले हुए भोजन, मांस से बनने वाले खाद्य पदार्थ आदि 'ट्रांस फैट एसिड' के मुख्य स्रोत हैं।
ट्रांस फैट एसिड से कैसे हो बचाव!
'ट्रांस फैट एसिड' से बचाव का सर्वोत्तम तरीका है किसी भी वसायुक्त खाद्य पदार्थ को ज्यादा मात्रा में न लें। बेक्ड खाद्य पदार्थ में भी ट्रांस फैट के काफी स्रोत होते हैं। अब तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रोसेस्ड फूड निर्माताओं को यह निर्देश भी जारी कर दिया है कि वे अपने उत्पाद पर लगे न्यूट्रीशन लेबल में यह भी बताएं कि उसमें ट्रांस फैट कितना है(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,18.12.2010)।

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