भारत के दवा उद्योग में 42 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाला गुजरात ने न सिर्फ दवा उत्पाद के मामले में देश की फार्मा राजधानी के रूप में स्वयं को स्थापित किया बल्कि यह राज्य अब चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और इस क्षेत्र में शोध एवं विकास का केन्द्र भी बनता जा रहा है। राज्य के खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन के आयुक्त एच जी कोशिया के अनुसार राज्य में ५४00 दवा विनिर्माण लाइसेंस जारी किये गये हैं और आगामी 12और 13 जनवरी को आयोजित हो रहे पांचवे वाइव्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान इस क्षेत्र में 4000 हजार करोड़ रूपये से अधिक के निवेश से संबंधित सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि वर्ष २क्क्९ में आयोजित चौथे निवेशक सम्मेलन में इस क्षेत्र में 26 सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये और राज्य में 2700 करोड़ रूपये के निवेश का प्रस्ताव मिला था। उन्होंने बताया कि पहले राज्य में सिर्फ दवाओं का निर्माण होता था लेकिन अब चिकित्सा उपरकणों का उत्पादन होने लगा है और शोध एवं विकास का काम भी जोरशोर से हो रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में वर्तमान में 108 फार्मसी शिक्षण संस्थान है जहां इस उद्योग की आवश्यकता के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। गुजरात में अभी 55 हजार लोग इस उद्योग में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि गुजरात में दवाओं का उत्पादन 103 वर्षो से हो रहा है। गुजरात में पहली दवा कंपनी वड़ोदरा में 1907 में स्थापित हुयी थी और तब से राज्य इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोशिया ने बताया कि राज्य में दवा उद्योग को बढ़ावा देने की योजना के तहत फार्मा विशेष आíथक क्षेत्र फार्मा सेज का निर्माण किया जा रहा है।
फार्मा सेज का विकास निजी क्षेत्र की भागीदारी से की जा रही है। अहमदाबाद और भरूच क्लस्टर में फार्मा सेज का निर्माण हो रहा है। वर्तमान में इस तरह के पांच सेज को मंजूरी मिल चुकी है जिनमेंसें तीन कार्यशील है। अहमदाबाद स्थित वी पी पटेल पीईआरडी सेंटर के सलाहकार एवं सरदार पटेल विश्वविद्यालय आनंद के कुलपति प्रो हरीश पाड के अनुसार गुजरात के महेसाणा से लेकर मुंबई के बीच देश का ७क् प्रतिशत दवा उद्योग स्थापित है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में दवा उद्योगों के स्थापित होने का मुख्य कारण उसके कच्चे माल के रूप में उपयोगी केमिकलों की सुलभ उपलब्धता है। इसके साथ ही इसके लिए आवश्यक दक्ष मानव शक्ति भी प्रमुख कारक है। उन्होंने बताया कि वापी से लेकर महेसाणा तक अधिकांश केमिकल कंपनियां स्थापित है। जहां से इन कंपनियों को आसानी से कच्चे माल की उपलब्धता हो जाती है। उन्होंने बताया कि हालांकि शोध एवं विकास कार्य पर पहले कंपनियां विशेष ध्यान नहीं दे रही थी लेकिन जब से निर्यात बढ़ा है तब से कंपनियां इस पर विशेष ध्यान लगी है। हालांकि उन्होंने माना कि इस क्षेत्र में अभी भी राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी है।
अहमदाबाद नाइपर के भी सलाहकार पाड ने बताया कि यह संस्थान राज्य में दवा उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी कर सकता है लेकिन अब तक इस संस्थान को पीईआरडी सेंटर से अलग कर पूर्ण रूप में संचालित नहीं किये जाने से यह अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है(दैनिक भास्कर,अहमदाबाद,13.12.2010)।
अहमदाबाद नाइपर के भी सलाहकार पाड ने बताया कि यह संस्थान राज्य में दवा उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी कर सकता है लेकिन अब तक इस संस्थान को पीईआरडी सेंटर से अलग कर पूर्ण रूप में संचालित नहीं किये जाने से यह अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है(दैनिक भास्कर,अहमदाबाद,13.12.2010)।
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