आज प्रतिस्पर्धा का युग है। ऐसे में सभी को अत्यधिक मेहनत करना होती है। शारीरिक और मानसिक श्रम की अधिकता से अधिकांश लोगों का स्वभाव क्रोधी और चिड़चिड़ेपन वाला हो जाता है। किसी का भी छोटी-छोटी बातों में चिड़ जाना यह तो आम बात हो गई है परंतु जो व्यक्ति प्रतिदिन योग करते हैं वे क्रोध से दूर ही रहते हैं। सर्वांगासन के नियमित अभ्यास से हमारा मन शांत रहता है। जिससे क्रोध तथा चिड़चिड़ेपन से निजात मिलती है।
आसन की विधि- समतल भूमि पर आसन बिछाकर शवासन में लेट जाइएं। अपने दोनों हाथों को जांघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर उठाइएं तथा पाीठ को कं धों तक उठाइएं। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिएं। इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब श्वांस को रोके नहीं स्वाभाविक रुप से चलने दें। पैर और धड़ को एक सीध में रखें। इस स्थिति में रुकने के बाद, पैरों को जमीन पर वापस लाइएं। पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए घुटनों को माथे के पास लाइएं। हाथों को जमीन रखते हुये शरीर और पैरों को धीरे -धीरे वापस शवासन में लाइएं। अब शवासन में शरीर को शिथिल अवस्था में लाइएं। आसन करते समय आंखों को खुला रखें।
आसन के लिए सावधानियां - आसन का अभ्यास करते समय धैर्य से काम लें। जल्दबाजी एवं हड़बड़ाहट में आसन न करें। इस आसन का अभ्यास पीठ दर्द, कमर दर्द, नेत्र रोगी और उच्च रक्तचाप के रोगी ने करें।
आसन के लाभ- इस आसन के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव, निराशा, हताशा एवं चिंताएं आदि रोगों का नाश होता है। इससे आखों का तेज बढ़ता है और चेहरा कांतिमय बनता है। स्त्रियों के स्वास्थ में इस आसन से विशेष लाभ होता है । स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। सर्वांगासन से शरीर के उन अंगों से रक्त संचरण बढ़ जाता है, जहां रक्त संचार कम होता है। शरीर का प्रत्येक अंग स्वस्थ हो जाता है। चेहरे पर झाइयां नहीं पड़ती हैं और चेहरे पर चमक बनी रहती है। समय से पूर्व बाल सफेद नहीं होते हैं। आंखे स्वस्थ रहती है। इस आसन के करने से मानसिक तनाव दूर होता है। क्रोध और चिड़चिडा़पन दूर होता है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,22.12.2010)।
बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
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