विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने टीबी के एक नए टेस्ट को मंजूरी दे दी है। इस टेस्ट से करीब 100 मिनट में जटिल मामलों में भी टीबी होने या न होने की पुष्टि हो जाएगी। मौजूदा कई टेस्ट के नतीजे मिलने में तीन महीने तक का समय लग जाता है। इस नए टेस्ट से भारत को बहुत फायदा होगा, जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं।
इसे न्यूक्लिक एसिड एम्पलिफिकेशन टेस्ट नाम दिया गया है। कोई डेढ़ साल के कड़े परीक्षण में इसे सामान्य ही नहीं, एड्स के साथ मिल चुके या दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर चुके टीबी की शिनाख्त में भी कामयाब पाया गया। नई तकनीक के आने से टीबी की प्रारंभिक अवस्था में जांच करने में तो आसानी होगी ही, एड्स के कारण जटिल बन चुके मामलों की जांच भी तेजी से हो सकेगी।
टीबी की जांच के लिए अब भी कई देशों में कोई सौ साल पुराना, बलगम की जांच का तरीका अमल में लाया जाता है। नए टेस्ट में डीएनए तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस टेस्ट किट का उत्पादन सेफीड नाम की कंपनी कर रही है। कंपनी का कहना है कि जिन देशों में टीबी के मरीज बहुत ज्यादा हैं, वहां इसकी कीमत में 75 फीसदी की रियायत दी जाएगी।
भारत में सबसे ज्यादा मरीज
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वर्ष 2009 में दुनिया में करीब 17 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हो गई और करीब 94 लाख नए लोगों को इसने अपनी चपेट में ले लिया। भारत में टीबी से हर साल करीब साढ़े तीन लाख लोगों की मौत हो जाती है। दुनिया में टीबी के 20 फीसदी मरीज भारत में हैं। यहां टीबी के कारण हर दो मिनट में एक शख्स मौत के मुंह में समा जाता है(सुरेश उपाध्याय,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,9.12.2010)।
भारत में सबसे ज्यादा मरीज
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वर्ष 2009 में दुनिया में करीब 17 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हो गई और करीब 94 लाख नए लोगों को इसने अपनी चपेट में ले लिया। भारत में टीबी से हर साल करीब साढ़े तीन लाख लोगों की मौत हो जाती है। दुनिया में टीबी के 20 फीसदी मरीज भारत में हैं। यहां टीबी के कारण हर दो मिनट में एक शख्स मौत के मुंह में समा जाता है(सुरेश उपाध्याय,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,9.12.2010)।
अच्छी खबर है । इसका बड़ा इंतज़ार था ।
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