बुधवार, 17 नवंबर 2010

गर्भनिरोधक इंजेक्शन

जल्दी ही देश में परिवार नियोजन का एक और तरीका उपलब्ध हो सकता है। केंद्र सरकार महिलाओं को एक इंजेक्शन के जरिए दो से तीन महीने तक के लिए चिंता से मुक्ति पाने का विकल्प उपलब्ध करवाने की तैयारी में है। स्वास्थ्य सचिव सुजाता के. राव ने मंगलवार को इस बात को साफ तौर पर स्वीकारा। इस समय ये इंजेक्शन खुले बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन सरकारी कार्यक्रम में इसे शामिल नहीं किया गया है। राव के मुताबिक जल्दी ही इंजेक्टेबल कांट्रासेप्टिव (गर्भनिरोधक) को औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की मंजूरी मिल सकती है। इसके बाद,पहली बार, राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में हार्मोन को नियंत्रित करने वाले ये इंजेक्शन भी शामिल हो सकेंगे। यह भरोसा उन्होंने एशियन पापुलेशन एसोसिएशन के यहां हो रहे सम्मेलन में दिलाया। सम्मेलन के बाद इस अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के लिए ज्यादा से ज्यादा उपाय लोगों को उपलब्ध होने चाहिए। इंजेक्शन को उन्होंने काफी हद तक सुरक्षित बताया। राव के मुताबिक, कुछ वर्ष पहले महिला संगठनों ने इसके इस्तेमाल का विरोध किया था, क्योंकि तब तक हमारा स्वास्थ्य ढांचा बहुत बुरी स्थिति में था। राव के मुताबिक इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट बहुत कम मामलों में होते हैं। लेकिन इन छिटपुट मामलों की पूरी निगरानी और चिकित्सकीय मदद उपलब्ध होना जरूरी है। अब हमारा स्वास्थ्य ढांचा इतना मजबूत हो चुका है कि वह यह सुविधा दे सके। राव के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में इसे फालो-अप के पूरे उपायों और तैयारियों के साथ ही उतारा जाएगा। इंजेक्शन के मामले में महिलाओं को यह भी ध्यान दिलाना बहुत जरूरी है कि इसका असर एक खास अवधि तक के लिए ही होता है। अगर आगे भी गर्भधारण नहीं करना है तो अवधि पूरी होने से पहले दुबारा वह इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। दुनिया के बहुत से मुल्कों में इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल कई वर्षो से हो रहा है। साथ ही भारत में भी बाजार में यह उपलब्ध है(दैनिक जागरण,दिल्ली,17.11.2010)।

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