क्या आपको पता है कि मरीज ही नहीं चिकित्सक भी स्तन कैंसर रोगियों से बातचीत में असहज हो जाते हैं? सर्वे के मुताबिक स्तन कैंसर विशेषज्ञ मानते हैं कि उन्हें उपचार के दौरान बातचीत में हिचक महसूस होती है, जो स्तन कैंसर रोगियों की बढ़ती तादाद के लिए जागरुकता की कमी के बाद दूसरी सबसे बड़ी अवरोधक साबित होती है। उल्लेखनीय है भारत में महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण स्तन कैंसर है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत में 22 महिलाओं में से एक को स्तन कैंसर का खतरा होता है और अनुमान किया जा रहा है कि 2010 के अंत तक आंकड़ा 90,659 पहुंच सकता है.। गौरतलब है कि मुंबई, चेन्नई और दिल्ली जैसे महानगरों में महिलाओं के बीच इस तरह के मामले सर्वाधिक देखने में आए हैं।
विशेषज्ञों ने महिलाओं द्वारा 20-21 साल की उम्र से ही अपने स्तनों की जांच करने की वकालत की है, जो कि शुरूआती स्तर पर ही इस बीमारी की पहचान का सबसे साधारण तरीका है। चिकित्सकों का कहना है कि शुरूआत में ही पता चलने से रोग के निवारण की संभावना अधिक होती है और यह जानलेवा बीमारी पूरी तरह सही भी हो सकती है। चिकित्सकों को कहना है कि सामाजिक वर्जनाओं के कारण सही समय पर पहचान नहीं होने से महिलाओं को इस संभावित खतरे का आभास नहीं होता, जिससे उनकी जान बचाई जा सके। आर्टेमिस कैंसर सेंटर की डा.भावना सिरोही के अनुसार, ‘इस बीमारी के बारे में केवल महिला ही नहीं डॉक्टर भी ज्यादा नहीं जानते। स्वामी दयानंद अस्पताल में सर्जरी प्रमुख डॉ रत्ना चोपड़ा ने कहा, ‘एक रोगी में दो साल बाद स्तन कैंसर होने का पता चला। स्तन कैंसर रोगियों में जागरुकता लाने के लिए न्यू इंडिया कैंसर चैरिटी इनिशियेटिव की शुरूआत भी की गई है ताकि ग्रामीण इलाकों में स्क्रीनिंग, निदान और उपचार किया जा सके(अमर उजाला,14.11.2010)।
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जवाब देंहटाएंमुझे भी हिचक हो रही है टिप्पणी करते हुए
कि जैसे मैंने छेड़खानी कर दी हो उन स्रोतों से जो मेरी प्रथम खुराक रहे.
"पय देख याद आता पयोज"
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जवाब देंहटाएंMammography helps in early detection of breast cancer.
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उपयोगी जानकारी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंविचार-श्री गुरुवे नमः