नमक में आयोडीन होना जरूरी है इस बात का प्रचार करते हुए कई दशक बीत गए, लेकिन अब तक देश का एक भी राज्य ऐसा नहीं है, जो आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों से पूरी तरह मुक्त हो सका हो। ऐसे में अब स्वास्थ्य मंत्रालय देश भर की आशा कार्यकर्ताओं के जरिए इस अभियान को पूरा करना चाहता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना के मुताबिक अब देश भर में फैली इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नमक में आयोडीन की मात्रा जांचने के लिए किट मुहैया करवाई जाएगी। इन किट के जरिए ये लोगों को उनके घर पर ही यह बता सकेंगी कि वे जो नमक खा रहे हैं उसमें आयोडीन है या नहीं। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि एक बार जब किसी अनपढ़ व्यक्ति को भी किट के जरिए जांच कर दिखा दिया जाए कि वे जो नमक खा रहे हैं उसमें आयोडीन नहीं है और फिर उन्हें यह बताया जाए कि इस साधारण सी चीज की कमी की वजह से उन्हें कितनी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, तो वे निश्चित तौर पर इसकी जरूरत को समझेंगे। आजाद बताते हैं कि ऐसे कदमों के जरिए देश में आयोडीन की कमी से संबंधित बीमारियों को 2012 तक 10 फीसदी से कम पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। बताते चलें कि साल 2006 में ही बिना आयोडीन वाले नमक की मानव प्रयोग के लिए बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया था। मनुष्य के स्वस्थ विकास के लिए रोजाना सौ से डेढ़ सौ माइक्रोग्राम आयोडीन जरूरी होता है। इसकी कमी से शारीरिक और मानसिक अपंगता हो सकती है। गर्भवती महिला के गर्भ पर गंभीर कुप्रभाव या गर्भपात तक हो सकता है। पिछले दिनों स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशालय (सीजीएचएस), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राज्यों के स्वास्थ्य निदेशालयों की ओर से करवाए गए सर्वेक्षण में पता चला है कि आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों का खतरा अब भी काफी व्यापक है। 28 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 324 जिलों में करवाए गए इस सर्वेक्षण के मुताबिक 263 जिलों में यह महामारी के स्तर तक पहुंच चुका है। यानी इन जिलों में दस फीसदी से ज्यादा आबादी इन बीमारियों की जद में है। इसी सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि देश का एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ऐसा नहीं जो दावा कर सके कि वह आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों (आईडीडी) से पूरी तरह मुक्त हो गया है(मुकेश केजरीवाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीयसंस्करण,10.11.2010)।
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