बुधवार, 10 नवंबर 2010

स्ट्रोक

जीवनशैली में बदलाव के साथ ब्रेन स्ट्रोक की समस्या तेजी से बढ़ी है, मगर इसके खतरों से अभी भी ज्यादातर लोग अनजान हैं। इंडियन स्ट्रोक असोसिएशन की एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली के 45 पर्सेंट लोगों को यह भी नहीं पता है कि स्ट्रोक क्या है? यही वजह है कि इलाज के बेहतर विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को समय पर सही उपचार नहीं मिल पा रहा है। इस स्टडी में दिल्ली के 204 लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें 45 पर्सेंट लोगों ने बीमारी के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया। 23.5 पर्सेंट के मुताबिक, यह हार्ट अटैक का दूसरा नाम है। बीमारी के लक्षणों के बारे में पूछने पर 68 पर्सेंट ने कहा कि शरीर निष्क्रिय हो जाता है। 23 पर्सेंट लोगों के हिसाब से इसमें चेहरा या मुंह टेढ़ा हो जाता है। यह पूछने पर कि स्ट्रोक होने के तुरंत बाद क्या करना चाहिए? 65.7 पर्सेंट ने कहा, तुरंत हॉस्पिटल जाना चाहिए। 17.6 पर्सेंट के हिसाब से प्रभावित अंगों की मालिश करनी चाहिए और 8.3 पर्सेंट के हिसाब से मरीज को कोई गर्म चीज पिलानी चाहिए। जब यह पूछा गया कि स्ट्रोक के मरीज का इलाज कौन से एक्सपर्ट करते हैं, 64 पर्सेंट का कहना था जनरल फिजिशन, 34.8 पर्सेंट ने बताया न्यूरोलॉजिस्ट। यह पूछा गया कि कितने लोगों को पता है कि देश में ऐसे विकल्प मौजूद हैं जिनसे स्ट्रोक आने के तीन-चार घंटे के भीतर इलाज शुरू होने पर मरीज को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है तब 90 पर्सेंट ने कोई भी जानकारी होने से इनकार किया। स्ट्रोक के लक्षणः स्ट्रोक का सबसे आम लक्षण है शरीर के एक ओर के हिस्से में कमजोरी या लकवा। हो सकता है कि मरीज अपनी इच्छानुसार एक ओर के हाथ-पैर हिला ही न पाए या उनमें कोई संवेदना ही महसूस न हो। स्ट्रोक से बोलने में दिक्कत हो सकती है और चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे लार बहने लगती है। सुन्न पड़ना या झुरझुरी होना भी बहुत सामान्य बात है। स्ट्रोक की वजह से सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है और यहां तक कि मरीज अचेत भी हो सकता है। फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. संजय सक्सेना कहते हैं कि, फिलहाल हर छठा व्यक्ति लाइफ में कभी न कभी स्ट्रोक झेलता है। दुनियाभर में हर छठ सेकंड एक व्यक्ति की स्ट्रोक से मौत होती है। अगर बचाव व इलाज के बारे में लोग जागरूक हो जाएं तो बहुत से लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसी उद्देश्य से हर साल 29 अक्टूबर को स्ट्रोक जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम है, वन इन सिक्स। मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. शाकिर हुसैन कहते हैं कि देश में 60 से ऊपर की उम्र के लोगों में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण स्ट्रोक है। 15 से 59 आयुवर्ग में मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है। बी. एल. कपूर हॉस्पिटल के कंसलटेंट डॉ. आनंद कुमार सक्सेना कहते हैं कि स्ट्रोक का सबसे आम लक्षण है शरीर के एक ओर के हिस्से में कमजोरी या लकवा। हो सकता है कि मरीज अपनी इच्छानुसार एक ओर के हाथ-पैर हिला ही न पाए या उनमें कोई संवेदना ही महसूस न हो। स्ट्रोक से बोलने में दिक्कत हो सकती है और चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे लार बहने लगती है। सुन्न पड़ना या झुरझुरी होना भी बहुत सामान्य बात है। स्ट्रोक की वजह से सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है और यहां तक कि मरीज अचेत भी हो सकता है। अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर एक्सपर्ट डॉ . पी . एन . रंजन कहते हैं कि जिस मरीज पर भी स्ट्रोक का संदेह हो उसे तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया जाए ताकि उसकी जांच व इलाज किया जा सके क्योंकि देरी का अर्थ है ब्रेन को नुकसान। हाई बीपी , डायबीटीज , हाई कोलेस्ट्रॉल की हमेशा जांच कराएं। शारीरिक तौर पर सक्त्रिय रहें और हर रोज व्यायाम करें। मोटापे से बचें और इसके लिए सही व संतुलित आहार लें। शराब पीते हों तो सीमित मात्रा में पियें और सिगरेट - तंबाकू का सेवन करते हों तो उसे तुरंत बंद कर दें। स्ट्रोक की चेतावनी देने वाले संकेतों को पहचानना सीखें(नवभारत टाइम्स,29.10.2010)।

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