हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल (हाईबीसी) को हाइपरकोलेस्ट्रॉलेमिया और हाइपरलिपिडेमिया भी कहा जाता है। ब्लड में बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल की मात्र हार्ट डिजीज जैसी कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है। ऐसे ऊपरी लक्षण अभी तक नहीं पता चले हैं जिससे यह पता लग सके कि कोई हाईबीसी की गिरफ्त में आ चुका है। इसकी पहचान कर पाना आसान नहीं होता। यही वजह है कि लोगों को इसकी जानकारी तब हो पाती है जब उसका कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पेडिएट्रिक्स विभाग के डॉ. जितेंद्र साहू कहते हैं कि 20 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को तीन-चार साल में कम से कम एक बार कोलेस्ट्रॉल की जांच अवश्य करानी चाहिए। - कोलेस्ट्रॉल लेवल मापने के लिए ब्लड में लिपोप्रोटीन की मात्र जांची जाती है। इसकी जांच के नौ से बारह घंटे पहले से खाली पेट रहना जरूरी होता है। - यदि आपका कुल कोलेस्ट्रॉल 200 मि.ग्रा./डेसीलीटर या इससे ज्यादा हो तो या एचडीएल 40 मि.ग्रा./डे.ली़ से कम हो तो आप लिपोप्रोटीन जांच अवश्य करा लें। - यदि टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल 200 मि.ग्रा./डे.ली. से कम है तो यह आपके लिए खतरे की घंटी है। यदि टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल 200 से 239 मिलीग्राम/डे.ली. हो तो आप बॉर्डर लाइन पर हैं और यदि टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल 240 मिलीग्राम/डे.ली. और उससे ज्यादा है तो आप हाई कोलेस्ट्रॉल के शिकार हो चुके हैं। - यदि आपका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल 100 मिलीग्राम/डे.ली. से कम है तो ऑप्टीमल और यदि 100 से 129 मिलीग्राम/डे.ली. तक है तो ऑप्टीमल के करीब हैं। 130 से 159 तक है तो हाई बॉर्डर लाइन पर हैं। 160 से 189 पर हैं तो हाई और 190 और उससे ज्यादा है तो बहुत हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के शिकार हो चुके हैं। - यदि आपका एचडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल 40 मिलीग्राम/डे.ली. से कम है तो हार्ट डिजीज होने का खतरा है। 40 से 59 तक है तो समझों सब ठीक है और यदि 60 मिलीग्राम/डे.ली. और ज्यादा है तो समझ लें कि आप पूरी तरह से सुरक्षित हैं। - खून में फैट का एक अन्य प्रकार भी मौजूद होता है जिसे ट्राइग्लीसेरिड्स कहा जाता है। ट्राइग्लीसेरिड्स भी हार्ट डिजीज का कारण बन सकती है। ट्राइग्लीसेरिड्स लेवल बढ़ने के जिम्मेदार कारण हैं.. - ओवरवेट होना और फिजिकल एक्टिविटी में भाग न लेना। - धूम्रपान और ज्यादा शराब पीना। - अधिक मात्रा में काबरेहाइड्रेट डाइट लेना। - कुछ खास तरह की बीमारियां और दवाएं लेना और वंशानुगत समस्याएं। - इनके अलावा कोलेस्ट्रॉल कम करने के जरूरी इलाज करवाकर आप हार्ट अटैक के खतरे से बचे रह सकते हैं। - यदि आप पहले से ही हार्ट डिजीज से ग्रस्त हैं या डायबिटीज के शिकार हैं तो समझों कि आपको हार्ट अटैक का खतरा है। अपने डॉक्टर से परामर्श करके इन सभी खतरों से बचने के उपाय करें।
अन्य रिस्क फैक्टर्स - सिगरेट पीना, हाई ब्लड प्रेशर, लो एचडीएल, वंशानुगत कारण।
रीडिंग बताएगा रिस्क - यदि आप हार्ट डिजीज या डायबिटीज मरीज हैं या फिर आपका रिस्क स्कोर 20 प्रतिशत से ज्यादा है तो आप हाई रिस्क पर हैं। आपका एलडीएल लक्ष्य 100 मिलीग्राम/डे.ली. से कम होना चाहिए। - यदि आपका रिस्क फैक्टर दो या दो से अधिक है और रिस्क स्कोर 10 से 20 प्रतिशत तक है तो आप लगभग हाई रिस्क पर हैं और आपको 130 मिलीग्राम/डे.ली. से कम एलडीएल लक्ष्य रखना होगा। - यदि आपका रिस्क फैक्टर दो या दो से अधिक है और रिस्क स्कोर 10 प्रतिशत से कम तो आप लगभग रिस्क पर हैं और आपको 130 मिलीग्राम/डे.ली. से कम एलडीएल लक्ष्य पाना होगा। - यदि आपका एक या कोई रिस्क फैक्टर नहीं है तो सावधान हो जाएं। आप लगभग इसकी गिरफ्त में आने वाले हैं और आपको 160 मिलीग्राम/डे.ली. के एलडीएल लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। - कुछ लोगों को हार्ट अटैक के चांसेज बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि उन्हें पहले हार्ट अटैक हो चुका है या फिर हार्ट डिजीज के साथ-साथ वे डायबिटीज, कई रिस्क फैक्टर्स की गिरफ्त में हैं। - यदि आप बहुत हाई रिस्क पर हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना एलडीएल लेवल या और कम लगभग 70 मिलीग्राम/डे.ली. तक करने की कोशिश करें। - यदि आपको सिर्फ हार्ट अटैक आ चुका है तब भी डॉक्टर से संपर्क करना न भूलें।
बचें हाई कोलेस्ट्रॉल से खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कई चीजें प्रभावित करती हैं। इनमें से कुछ पर तो आप कंट्रोल कर सकते हो, लेकिन कुछ पर नहीं।
जिन पर काबू किया जा सकता है.. जो भी खाते हैं, उनमें से कुछ चीजों में फैट होता है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाता है। किसी भी अन्य चीज की तुलना में सैचुरेटेड फैट आपकी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाता है। ट्रांस फैटी एसिड्स (ट्रांस फैट्स) तब बनता है जब वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन पास करके उसे हार्ड कर दिया जाता है। या फिर अंडे के पीले भाग, मीट और पनीर जैसी जानवरों से पाई जाने वाली खाने की चीजों में कोलेस्ट्रॉल की मात्र अधिक होती है। - यदि आप ओवरवेट हैं तो इससे आपका एलडीएल लेवल बढ़ जाता है। एचडीएल लेवल जितना कम होगा, आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल उतना ही कम होगा। - रेगुलर एक्सरसाइज में कमी आपके वेट गेन करने का कारण हो सकती है। नियमित रूप से व्यायाम न केवल आपका वजन कम करने में सहायक होती है, बल्कि एलडीएल को भी कम करता है। यह एचडीएल लेवल बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। - जरूरी हो तो डॉक्टर के परामर्श से आप जरूरी दवाएं भी ले सकते हैं।
जिन पर काबू नहीं हो सकता वंशानुगत : एचबीसी वंशानुगत कारणों से भी बढ़ सकता है। वंशानुगत कारणों से बहुत हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल हो सकता है। यह जन्म के समय ही शुरू होता है, जो बाद में उम्र के साथ हृदयाघात का कारण बन सकता है। उम्र और सेक्स : युवावस्था आते ही पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले एचडीएल लेवल कम होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उनका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता जाता है। युवावस्था में महिलाओं में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल पुरुषों के मुकाबले कम होता है, लेकिन 55 की उम्र के बाद महिलाओं में यह लेवल बढ़ जाता है।
(सुषमा कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,16.11.2010)
अन्य रिस्क फैक्टर्स - सिगरेट पीना, हाई ब्लड प्रेशर, लो एचडीएल, वंशानुगत कारण।
रीडिंग बताएगा रिस्क - यदि आप हार्ट डिजीज या डायबिटीज मरीज हैं या फिर आपका रिस्क स्कोर 20 प्रतिशत से ज्यादा है तो आप हाई रिस्क पर हैं। आपका एलडीएल लक्ष्य 100 मिलीग्राम/डे.ली. से कम होना चाहिए। - यदि आपका रिस्क फैक्टर दो या दो से अधिक है और रिस्क स्कोर 10 से 20 प्रतिशत तक है तो आप लगभग हाई रिस्क पर हैं और आपको 130 मिलीग्राम/डे.ली. से कम एलडीएल लक्ष्य रखना होगा। - यदि आपका रिस्क फैक्टर दो या दो से अधिक है और रिस्क स्कोर 10 प्रतिशत से कम तो आप लगभग रिस्क पर हैं और आपको 130 मिलीग्राम/डे.ली. से कम एलडीएल लक्ष्य पाना होगा। - यदि आपका एक या कोई रिस्क फैक्टर नहीं है तो सावधान हो जाएं। आप लगभग इसकी गिरफ्त में आने वाले हैं और आपको 160 मिलीग्राम/डे.ली. के एलडीएल लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। - कुछ लोगों को हार्ट अटैक के चांसेज बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि उन्हें पहले हार्ट अटैक हो चुका है या फिर हार्ट डिजीज के साथ-साथ वे डायबिटीज, कई रिस्क फैक्टर्स की गिरफ्त में हैं। - यदि आप बहुत हाई रिस्क पर हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना एलडीएल लेवल या और कम लगभग 70 मिलीग्राम/डे.ली. तक करने की कोशिश करें। - यदि आपको सिर्फ हार्ट अटैक आ चुका है तब भी डॉक्टर से संपर्क करना न भूलें।
बचें हाई कोलेस्ट्रॉल से खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कई चीजें प्रभावित करती हैं। इनमें से कुछ पर तो आप कंट्रोल कर सकते हो, लेकिन कुछ पर नहीं।
जिन पर काबू किया जा सकता है.. जो भी खाते हैं, उनमें से कुछ चीजों में फैट होता है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाता है। किसी भी अन्य चीज की तुलना में सैचुरेटेड फैट आपकी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाता है। ट्रांस फैटी एसिड्स (ट्रांस फैट्स) तब बनता है जब वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन पास करके उसे हार्ड कर दिया जाता है। या फिर अंडे के पीले भाग, मीट और पनीर जैसी जानवरों से पाई जाने वाली खाने की चीजों में कोलेस्ट्रॉल की मात्र अधिक होती है। - यदि आप ओवरवेट हैं तो इससे आपका एलडीएल लेवल बढ़ जाता है। एचडीएल लेवल जितना कम होगा, आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल उतना ही कम होगा। - रेगुलर एक्सरसाइज में कमी आपके वेट गेन करने का कारण हो सकती है। नियमित रूप से व्यायाम न केवल आपका वजन कम करने में सहायक होती है, बल्कि एलडीएल को भी कम करता है। यह एचडीएल लेवल बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। - जरूरी हो तो डॉक्टर के परामर्श से आप जरूरी दवाएं भी ले सकते हैं।
जिन पर काबू नहीं हो सकता वंशानुगत : एचबीसी वंशानुगत कारणों से भी बढ़ सकता है। वंशानुगत कारणों से बहुत हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल हो सकता है। यह जन्म के समय ही शुरू होता है, जो बाद में उम्र के साथ हृदयाघात का कारण बन सकता है। उम्र और सेक्स : युवावस्था आते ही पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले एचडीएल लेवल कम होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उनका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता जाता है। युवावस्था में महिलाओं में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल पुरुषों के मुकाबले कम होता है, लेकिन 55 की उम्र के बाद महिलाओं में यह लेवल बढ़ जाता है।
(सुषमा कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,16.11.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।