नई दवा नीति लागू होने के पहले इसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, लेकिन शुरुआत से ही इसकी खामियां उजागर होने लगी हैं। कहने के तो इस नीति में दवाओं की गुणवत्ता पर खासा जोर दिया गया है और बिना गुणवत्ता परीक्षण मरीजों को दवाएं नहीं दी जा सकती हैं। हकीकत देखिए, दवाएं भी आ गई हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट नहीं आई है। काफी दिन तक इंतजार के बाद मरीजों को रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही दवाएं दी जा रही हैं। राजधानी के हमीदिया अस्पताल में भी करीब दो दर्जन तरह की दवाएं मरीजों को बांट दी गई हैं। यही हाल अन्य जगह का भी है। प्रदेश सरकार ने देश भर की नौ ड्रग लैब को दवाओं के गुणवत्ता परीक्षण के लिए अधिकृत किया है। इसमें अधिकांश लैब प्रदेश के बाहर की हैं। दवा सप्लायर द्वारा दवाएं पहुंचाने के तीन दिन के भीतर उनका रेपर निकालकर कोडिंग की जाती है और इसके बाद उन्हें अधिकृत नौ प्रयोगशालाओं में कहीं भी भेजा जाता है। दवाओं की जांच रिपोर्ट आठ दिन के भीतर कंपनी द्वारा ईमेल से भेजने की बाध्यता है, लेकिन किसी जगह की रिपोर्ट 22 दिन में भी नहीं आई है, तो कुछ जगह की 15 दिन से भी ऊपर हो गए हैं। अभी यह भी तय नहीं है कि रिपोर्ट कब भेजी जाएगी। उधर तमिलनाडु पेटर्न पर नई दवा नीति लागू होने के बाद अन्य एजेंसियों से दवाओं की खरीदी भी बंद कर दी गई है। इसके पहले इंदौर मेडिकल कालेज के डीन की अध्यक्षता में बनी सेंट्रल परजेस कमेटी व लघु उद्योग निगम से दवाएं खरीदी जा रही थीं। नई दवा नीति के तहत पहले तो दवाओं के पहुंचने में देरी हुई। कई जगह अगस्त में खरीदी के आर्डर दिए गए थे, लेकिन दवाएं नवंबर में पहुंची, जबकि 45 दिन के भीतर दवा सप्लाई की व्यवस्था है।
आनलाइन नहीं हो सके वेयर हाउस :
भले ही सरकार ने तमिलनाडु पेटर्न पर दवाओं की सप्लाई व जांच की व्यवस्था की है, लेकिन इसके तहत सबसे अहम काम की भी शुरुआत नहीं हो सकी है। नई दवा नीति में प्रावधान किया गया है कि सभी जिलों के सीएमएचओ, सिविल सर्जन व मेडिकल कालेजों के वेयर हाउस को आन लाइन किया जाएगा। इससे फायदा यह होगा कि किस बैच की दवा कहां पहुंची है, उसकी एक्सपायरी की तिथि क्या है। किस वेयर हाउस में कौन सी दवा व उपकरण कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं, इन सब की जानकारी मिल जाएगी। इससे दवाओं को खराब होने से बचाया जा सकेगा और विभाग के आला अधिकारी भी दवाओं की मानीटरिंग कर सकेंगे। कई बार एक ही बैच की दवा अलग-अलग जगह पहुंच जाती है और सभी स्थानों से सैंपल जांच के लिए लेब में भेजे जाते हैं, लेकिन लेब में एक बैच की एक ही दवा की गुणवत्ता जांच की जाती है(दैनिक जागरण,भोपाल,17.11.2010)।
आनलाइन नहीं हो सके वेयर हाउस :
भले ही सरकार ने तमिलनाडु पेटर्न पर दवाओं की सप्लाई व जांच की व्यवस्था की है, लेकिन इसके तहत सबसे अहम काम की भी शुरुआत नहीं हो सकी है। नई दवा नीति में प्रावधान किया गया है कि सभी जिलों के सीएमएचओ, सिविल सर्जन व मेडिकल कालेजों के वेयर हाउस को आन लाइन किया जाएगा। इससे फायदा यह होगा कि किस बैच की दवा कहां पहुंची है, उसकी एक्सपायरी की तिथि क्या है। किस वेयर हाउस में कौन सी दवा व उपकरण कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं, इन सब की जानकारी मिल जाएगी। इससे दवाओं को खराब होने से बचाया जा सकेगा और विभाग के आला अधिकारी भी दवाओं की मानीटरिंग कर सकेंगे। कई बार एक ही बैच की दवा अलग-अलग जगह पहुंच जाती है और सभी स्थानों से सैंपल जांच के लिए लेब में भेजे जाते हैं, लेकिन लेब में एक बैच की एक ही दवा की गुणवत्ता जांच की जाती है(दैनिक जागरण,भोपाल,17.11.2010)।
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