शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

पीजीआई चंडीगढ़ में जर्मन तकनीक से होगी कैंसर की जांच

कैंसर के जिन रोगियों में सीटी स्कैन या एमआरआई से बीमारी का पता नहीं चल पाता अब उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। पीजीआई,चंडीगढ़ के न्यूक्लीयर मेडिसन विभाग में अब जी-68 से कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। रेडिएशन थेरेपी से शरीर में कैंसर का डायग्नोज किया जाता है। शरीर में किसी भी तरह के कैंसर का पता लगाने के लिए फिलहाल पीजीआई सहित अन्य बड़े अस्पतालों में एफ-18-ग्लूकोज, (रेडिएशन थेरेपी एमिशन) से जांच की जाती है। मशीन में जांच के दौरान ग्लूकोज का एक स्तर तय कर दिया जाता है। नार्मल सेल में ग्लूकोज का तय स्तर रख दिया जाता है, लिहाजा नार्मल सेल में शरीर के भीतर किसी तरह की प्रतिक्रिया नजर नहीं आती, लेकिन कैंसर वाले सेलों में ग्लूकोज का स्तर तय स्तर से कहीं ज्यादा पहुंच जाता है। वह एरिया एफ-18 इमेजिंग में ज्यादा चमकता है। इस तकनीक को रूटीन इमेजिंग तकनीक भी कहते हैं। जिन मामलों में सीटी स्कैन या एमआरआई से कैंसर का पता नहीं चल पाता उन पर जी-68 तकनीक प्रयोग की जाती है। जर्मनी इस तकनीक का दाता है। इसे गैलियम-68 तकनीक भी कहा जाता है। न्यूरो-इंडोक्राइन ट्यूमर जांचने में यह तकनीक बहुत ही कारगर है। पीजीआई में जल्द यह तकनीक शुरू हो जाएगी। न्यूक्लीयर मेडिसन विभाग के डॉ. बलजिंदर ने बताया कि गैलियम जेनरेटर आइसोटॉप बहुत कारगर तकनीक है। उन्होंने बताया कि कैंसर अगर शरीर के किसी हिस्से में शुरू हो जाए तो तेजी से आगे फैलने लगता है। अमूमन यह लीवर तक फैल जाता है। लीवर कैंसर को जांचने के लिए बीटा- रेडिएशन प्रयोग की जाती है तथा इससे यह बिलकुल ठीकठाक हो जाता है। बीटा रेडिएशन से इलाज की इस तकनीक को 177-यूटीशियम और 90-वाई ट्रियम तकनीक कहा जाता है। जर्मन तकनीकों पर हुई चर्चा डॉ. बलजिंदर ने बताया कि पीजीआई के न्यूक्लीयर मेडिसन विभाग के साथ जर्मन रिसर्च फेडरेशन ने कान्फ्रेंस कराने में बहुत सहयोग दिया है। उन्होंने खुद जर्मनी में कैंसर के सबसे बड़े सेंटर में प्रो. रिचर्ड से इन तकनीकों की जानकारी ली है और उसे पीजीआई में मरीजों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाएगा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई बड़े डाक्टर इसमें शिरकत कर रहे हैं। आज वीरवार को जर्मन की इन्हीं तकनीकों पर विस्तार से चर्चा हुई। ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा डॉ. बलजिंदर ने बताया कि पीजीआई में चार तरह के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा पहुंचते हैं। सबसे ज्यादा मामले महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के हैं। पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के भी काफी मामले संस्थान में पहुंचते हैं। धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर और तंबाकू खाने वालों में मुंह के कैंसर के कई मामले सामने आते हैं(साजन शर्मा,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,12.11.2010)।

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