रविवार, 14 नवंबर 2010

मधुमेह दिवस विशेषःसज़ी हैं धोखे की दुक़ानें

वर्ल्ड डायबीटीज डे के मौके पर जहां तमाम जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसका फायदा उठाने से भी नहीं चूक रहे। मौके को भुनाने के लिए धोखे की दुकानें भी सज गई हैं। डायबीटीज को जड़ से खत्म करने के दावे वाले एसएमएस भी सर्कुलेट हो रहे हैं। इनमें दावा किया जा रहा है कि आयुर्वेदिक तरीकों से सिर्फ कुछ सौ रुपयों में मरीज की इंसुलिन छुड़ाई जा सकती है। इतना ही नहीं, असर न होने पर पूरे पैसे लौटाने की गारंटी भी दी जा रही है और दवाओं के गवर्नमेंट अप्रूव्ड होने का दावा भी किया जा रहा है जबकि एलोपैथी ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद के एक्सपर्ट भी ऐसे दावों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब तक ऐसी कोई भी दवा ईजाद नहीं हो पाई है जिससे डायबीटीज को जड़ से खत्म किया जा सके। सीनियर डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. ए. के. झिंगन कहते हैं कि ऐसे दावे लोगों को भ्रमित करने के लिए किए जाते हैं, इन पर बिल्कुल भरोसा न करें। ऐसा करना जानलेवा साबित हो सकता है। खासतौर से टाइप-1 डायबीटीज में क्योंकि इसमें शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और इस कमी को इंसुलिन इंजेक्शन से पूरा किया जाता है। अगर मरीज इंजेक्शन लेना बंद कर देगा तो उसकी किडनी फेल हो जाएंगी और उसकी मौत भी हो सकती है। फोर्टिस हॉस्पिटल के विभागाध्यक्ष डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि ऐसा दावा करनेवालों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की ऑल इंडिया असोसिएशन से जुड़े डॉ. आर. पी. पाराशर का कहते हैं कि मरीज की हालत जाने बिना इस तरह का दावा करना मेडिकल प्रफेशन के एथिक्स के खिलाफ है। उनका कहना है कि इंसुलिन को काबू में रखने वाले बॉडी सेल्स काम कर रहे हों, तब उसे बेलपत्र, मुलैठी, हल्दी, दालचीनी, शिलाजीत, गूगल, बसंत कुसुमाकर रस जैसी चीजें कुछ फायदेमंद हो सकती हैं, मगर इनसे भी डायबीटीज को ठीक करने का दावा नहीं किया जा सकता। नैशनल अर्बन डायबीटीज सर्वे के मुताबिक, यहां के शहरी इलाकों में रहने वाली 60 पर्सेंट आबादी डायबीटीज से किडनी, हार्ट और आंखों को होने वाले नुकसान के बारे में नहीं जानती। ऐसी आधी आबादी जिसे डायबीटीज नहीं है, वह सोचती है कि उसे कभी यह बीमारी नहीं हो सकती। 88 पर्सेंट लोग ब्लड शुगर लेवल पर कभी गौर ही नहीं करते। ऐसे में भ्रामक दावे कितना घातक असर कर सकते हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,14.11.2010)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो हंसी मजाक हो गया है देश में...... अफ़सोसजनक :(
    आपने लाभप्रद जानकारी साझा की..... धन्यवाद

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