रविवार, 14 नवंबर 2010

मधुमेह

दुनिया में मधुमेह के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े काफी चौकाने वाले हैं। दरअसल, इन आकड़ों में मधुमेह के मामले में भारत ने चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। डॉक्टरों के मुताबिक विकासशील देशों में मधुमेह की समस्या खानपान की आदतों में हो रहे बदलाव के कारण होती है।
विश्व स्तरीय आकड़ों की बात करें तो करीब 220 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें से लगभग 40मिलियन मधुमेह रोगी अकेले भारत में ही हैं। इस मामले में भारत पूरी दुनिया में अव्वल है। वर्ष-2007 से लेकर 2010 के आकड़ों के मुताबिक मधुमेह में इस दशक की सबसे लंबी छलांग देखी जा सकती है। वर्ष-2007 में भारत में करीब 34 मिलियन मरीज ऐसे थे, जिन्हें मधुमेह घोषित तौर से पाया गया था। वहीं यह आकड़े सिर्फ तीन वर्षो के छोटे से अतंराल में 15 फीसदी को भी पार कर गए। इन चौकाने वाले तथ्यों के पीछे हमारी खानपान की आदत शुमार है। रायपुर में अगर मधुमेह की बात की जाए तो यह आकड़ा और भी चौकाने वाला है। राजधानी बनने के बाद शहर के लोगों की खानपान और लाइफ स्टाइल में तेजी से बदलाव आया है, जिससे मधुमेह के मरीजों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है। यह हैं कारण : अधिकांश लोग अपना पसंदीदा आहार मिलने पर टूट पड़ते हैं और अनजाने ही अधिक मात्रा में ग्लूकोज ले लेते हैं। पाचन के बाद यह ग्लूकोज रक्त वाहिनियों के भीतर से होते हुए सेल्स द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जब हम आहार का सेवन करते हैं तो यह पाचन ग्रंथियां खुद-ब-खुद ही सही मात्रा में इंसुलिन बनाती हैं, जिससे ग्लूकोज रक्त से सेल्स तक पहुंचते हैं। लक्षण: >ज्यादा प्यास लगना >जल्दी-जल्दी पेशाब आना >ज्यादा भूख या थकान महसूस करना >बिना किसी प्रयास के वजन कम होना >घाव होने पर उसे ठीक होने में समय लगना >सूखी त्वचा पर खुजली होना >पैरों का सुन्न पड़ जाना या पैरो में झनझनाहट होना >दृष्टि में धुंधलापन होना बच्चों में शिकायत : डायबिटीज (मधुमेह) जैसी बीमारी अक्सर अधिक उम्र में होती है, लेकिन आज बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। बच्चों में होने वाले डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण देखने को मिलते हैं। यह बीमारी बच्चों के शरीर में मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार और इंसुलिन न बनने के कारण होती है। >बहुत अधिक प्यास लगना >बार-बार टॉयलेट जाना >उल्टियां आना और किसी काम में मन न लगना >कमजोरी और थकान महसूस करना >वजन घटना अगर बच्चा डायबिटिक है: >उसके खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान दें। >समय-समय पर उसकी रक्त जांच कराएं और बाल रोग विशेषज्ञ के संपर्क में रहें। >नियमित रूप से दवाएं दें और बच्चे को समझाएं कि उसका दवाएं लेना कितना आवश्यक है। >कोल्डड्रिंक, वेफर्स, जंक फूड, चॉकलेट, मिठाइयों, चावल और आलू जैसी चीजों से अपने बच्चे को दूर रखें। >बच्चे को संतुलित और पौष्टिक आहार दें और उसे ज्यादा देर तक खाली पेट न रहने दें। >हो सके तो बच्चे का डायट चार्ट तैयार करें। >खेलने-कूदने और व्यायाम को उसकी आदत में शामिल कराएं। (दैनिक भास्कर,रायपुर,14.11.2010)

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