सोमवार, 29 नवंबर 2010

एम्स को तो बस कीमती पत्थर और विदेशी घास की फिक्र

एम्स प्रशासन को मरीजों से ज्यादा कीमती पत्थरों (टाइल्स) और विदेशी घास की फिक्र है। शायद इसी कारण मरीजों और उनके रिश्तेदारों पर लाठियां भांजी जा रही हैं। चिंताजनक बात यह है कि एम्स प्रशासन इस अमानवीय कृत्य को सही ठहराने से भी गुरेज नहीं कर रहा है। गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने 12 फरवरी को ‘घास और पत्थरों से बनेगी एम्स की पहचान’ शीर्षक से खबर छापी थी। जिसमें भविष्य में मरीजों के हितों को दरकिनार करने की आशंका जताई थी। झारखंड (रांची) की आम्रपाली अपने आंसुओं को किसी तरह रोकते हुई बताती हैं कि वेटिंग हॉल में पैर रखने की भी जगह नहीं है और वार्ड में भी एक को ही रुकने की इजाजत है। धर्मशाला भी नहीं मिल रही है। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर अब जाऊं कहां। उसका कहना है कि यहां बैठने की कोशिश करती हूं तो लाठी पड़ने लगती है। मग में पानी भरकर शरीर पर डाल दिया जाता है। आम्रपाली की तरह आपातकालीन विभाग के बाहर खड़े सैकड़ों लोगों की यही दास्तान है। आश्चर्य की बात यह है कि उनमें ओपीडी में इलाज कराने आए मरीज भी शामिल होते हैं। इस मसले पर एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी के शर्मा का कहना है कि मरीजों के रिश्तेदारों के बैठने के लिए वेटिंग हॉल है और उनके रहने के लिए धर्मशालाएं भी हैं। ऐसे में उन्हें बाहर नहीं बैठना चाहिए। उनके बाहर बैठने और खाने-पीने से गंदगी फैलती है। हालांकि, उनकी इन दलीलों में दम नहीं नजर आ रहा है। दरअसल, एम्स में रोजाना सात से दस हजार मरीज आते हैं। करीब ढाई हजार मरीज विभिन्न वाडरे में भर्ती रहते हैं। डॉ. शर्मा के मुताबिक वेटिंग हॉल में 50-60 कुर्सियां लगी हुई हैं और धर्मशालाओं में पांच-छह सौ लोगों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन हकीकत यह है कि ये सुविधाएं एक अनार सौ बीमार वाली कहावत को चरितार्थ करती हैं। ऐसे में मरीज के रिश्तेदारों को बाहर बैठन के सिवाए कोई और विकल्प बचता नहीं है। गौरतलब है कि एम्स के आपातकालीन विभाग के ठीक सामने बनी पुलिस चौकी, मरीज पंजीकरण केंद्र और रेलवे आरक्षण केंद्र को दूसरे स्थान में स्थानंतरित कर दिया गया है। खाली हुए जगह में विदेशी प्रजातियों के घास लगाई गई है और चारो तरफ कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके अलावा, अमृतकौर ओपीडी भवन और मेडिसिन ओपीडी में भी पत्थर लगाने का काम जोरों पर है। कुल मिलाकर 13 करोड़ की लागत से पत्थर और घास लगाने की योजना बनाई गई है(धनंजय कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,29.11.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।