सरकार लोगों की सेहत को तरजीह देती है या सिगरेट कंपनियों के मुनाफे को, इस बात का फैसला बुधवार को होने वाली मंत्रिसमूह (जीओएम) की बैठक में हो जाएगा। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में तय किया जाएगा कि तंबाकू उत्पादों पर ज्यादा डरावनी और प्रभावकारी तस्वीरें छापी जाएं या नहीं। भारी मुनाफा कमाने वाली सिगरेट कंपनियों के दबाव में स्वास्थ्य मंत्रालय मई से ही इस फैसले को टालता आ रहा है। सिगरेट और दूसरे तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के तौर पर छपने वाले मौजूदा चित्र पर्याप्त प्रभावकारी नहीं हैं। इसलिए एक जून से ज्यादा स्पष्ट चित्र छापे जाने थे, लेकिन मार्च महीने में इस संबंध में अधिसूचना जारी होने के साथ ही सिगरेट कंपनियां जोरदार तरीके से सक्रिय हो गई। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने दबाव में आते हुए इस फैसले को टालते हुए इसे एक दिसंबर से लागू करने का फैसला किया। फिर दिसंबर नजदीक आता देख इसे विचार के लिए जीओएम के पास भेज दिया गया। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) नियम में स्वास्थ्य मंत्रालय के पास यह अधिकार होने के बावजूद इसे जीओएम को भेजे जाने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने इसके लिए वित्त मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया। इनके मुताबिक सिगरेट लॉबी के दबाव की वजह से ही वित्त मंत्रालय की ओर से इसे जीओएम के पास भेजने की सिफारिश की गई है। इस जीओएम में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अलावा कृषि मंत्री शरद पवार भी शामिल हैं। सिगरेट कंपनियों का दबाव सरकार पर इस कदर है कि हमेशा तंबाकू से होने वाली बीमारियों की बात करने वाले स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद भी इस पर कोई सख्त फैसला लेने से डरते हैं। बल्कि इस साल 13 मई को हुई बैठक में आजाद ने साफ तौर पर कहा था कि यह फैसला हमेशा के लिए टाल दिया जाना चाहिए(दैनिक जागरण,दिल्ली,3.11.2010)।
भारत में ऐसा ही होता है..
जवाब देंहटाएंये सब चुटकुले हैं.. सुनने में बहुत अच्छा लगता है!!
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