इस बार दीवाली पर पहले से अधिक आतिशबाजी और खानपान की धूम होने की होने की संभावना जताई जा रही है। इसको लेकर स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार दीवाली के दौरान आतिशबाजी के कारण दिल का दौरा, रक्तचाप, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे काफी बढ़ जाते हैं। इसलिए दमा एवं दिल के मरीजों को दीवाली के मौके पर खास तौर सावधानियाँ बरतनी चाहिए। यही नहीं इस त्योहार पर जलने, आँखों को गंभीर क्षति पहुँचने और कान का पर्दा फटने, दिल का दौरा पड़ने, सिर दर्द, अनिद्रा और उच्च रक्तचाप जैसी घटनाएं भी सुनने में आती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से खास तौर पर तेज आवाज वाले पटाखे चलाने से परहेज करने और दमे तथा दिल के मरीजों को पटाखों से दूर रहने की सलाह दी है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पटाखों के कारण दीवाली के बाद वायु प्रदूषण छह से दस गुना और आवाज का स्तर 15 डेसिबल तक बढ़ जाता है। इससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। मेट्रो हास्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीटय़ूट के निदेशक डॉ़ लाल के अनुसार तेज आवाज वाले पटाखों का सबसे ज्यादा असर बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा दिल और साँस के मरीजों पर पड़ता है। उन्होंने दीपावली पर लोगों को पटाखे नहीं छोड़ने या धीमी आवाज वाले पटाखे छोड़ने की सलाह दी है। दरअसल, पटाखों से निकला धुआँ रसायन और गंध दमा के मरीजों के लिए घातक होता है। दिल और दमा के मरीजों के लिए दीवाली का समय न केवल पटाखों बल्कि अन्य कारणों से भी मुसीबत भरा होता है। दीवाली से पहले अधिकतर घरों में सफाई की जाती है और रंग-रोगन कराया जाता है लेकिन रंग की गंध तथा घरों की मरम्मत और सफाई से निकलने वाली धूल दमा रोगियों के साथ सामान्य लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। मनुष्य के लिए 60 डेसिबल की आवाज सामान्य होती है। इससे 10 डेसिबल अधिक आवाज की तीव्रता दोगुनी हो जाती है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए घातक होती है। इसलिए अगर आप दीवाली पर पटाखों का धूम धड़ाका करने की तैयारी कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि इससे सेहत को होने वाले नुकसान को भी जान लें। रोशनी के त्योहार पर पटाखेबाजी में लापरवाही कई को महंगी भी पड़ती है। पटाखे चलाने में जरा सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। प्रदूषण, ठंड, उल्टा सीधा खा लेने समेत कुछ फैक्टर हैं जो दीवाली की रात हार्ट अटैक की वजह बनते हैं। पटाखों के धुएं से हवा में ऑक्सीजन कम होने हृदय रोगी पहले ही परेशान होते हैं और उस पर पटाखे का जोरदार धमाका हार्ट रिदम को अनियमित कर देता है। डर व उत्सुकता से हृदय गति तेज हो जाती है, इससे हार्ट अटैक हो जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक कान 50 से 60 डेसिबल आवाज सह सकता है, लेकिन पटाखों की आवाज 110 डेसिबल से अधिक तक होती है। इससे कान की हड्डियां भी टूट सकती हैं। कई बार कान में सां सां या घंटियों की आवाज आने, चक्कर आने, दिमाग सुन्न होने की शिकायतें बढ़ जाती हैं। केमिकल कानों में जाने से कान बहने भी शुरू हो जाते हैं। मरीज बहरे तक हो जाते हैं। बच्चे व बुजुर्गों को ज्यादा खतरा होता है। दीवाली की रात दमा रोगियों की दिक्कतें बढ़ती हैं। पटाखों के कण सांस के जरिए फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे नाड़ियों में सिकुड़न पैदा होती है। इससे सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है। अपना और अपने बच्चों का ख्याल रखकर आप दीवाली का दोगुना मजा उठा सकते हैं। यह सही है कि दीवाली के दिन हर कोई एंजॉय करना चाहता है और बिना पटाखों के यह मजा अधूरा है, लेकिन छोटे बच्चों को अपनी निगरानी में ही पटाखे जलाने दें। उन्हें ज्यादा धमाके व लाइटिंग वाले बम बिल्कुल न दें, क्योंकि इनसे जलने का डर रहता है। अगर आपके बच्चों की उम्र 7 साल से कम है, तो आप खुद उसका हाथ पकड़कर टॉर्च या फुलझड़ी जला सकते हैं। सीनियर कंसलटेंट, कस्मेटिक सर्जरी ड़ा अनूप धीर कहते हैं कि दीवाली पर जितनी भी दुर्घटनाएं होती हैं, उनमें 98 प्रतिशत महिलाओं व 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ ज्यादा होती हैं। सच तो यह है कि पटाखे चलाते वक्त और खाना बनाते वक्त जरा सा ध्यान रखकर फेस, हाथ व बाजू पर लगने वाली चोटों से बचा जा सकता है। वैसे भी दीवाली पर किसी भी तरह की दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में आप फस्र्ट एड बॉक्स घर में जरूर तैयार रखें। सुरक्षा संबंधी टिप्स
पटाखे छोड़ने से पहले खुली जगह तलाश लें। आप घर या बाहर जहां भी पटाखे चला रहे हों, ध्यान रखें कि उसके आसपास आसानी से जलने वाली कोई चीज मसलन पेट्रोल, डीजल, केरोसिन या गैस सिलिंडर वगैरह न रखा हो। - पटाखे हमेशा अच्छे ब्रांड के ही खरीदें। कुछ लोग घर पर अनार और अन्य पटाखे बनाकर मार्किट में बेचते हैं। ये पटाखे अक्सर हादसे का कारण बनते हैं। - पटाखे छुड़ाते समय बच्चों के साथ रहें और उन्हें पटाखे चलाने का सुरक्षित तरीका बताएं। छोटे बच्चों को पटाखे न जलाने दें। पांच साल से छोटे बच्चों को तो फुलझड़ी भी न जलाने दें, इन्हें खुद जलाकर बच्चों को दिखाएं। - पटाखे जलाने के लिए मोमबत्ती या लंबी लकड़ी का इस्तेमाल करें। माचिस से आग लगाना खतरनाक हो सकता है। - एक बार में एक ही पटाखा चलाएं। एक साथ कई पटाखे छोड़ने की स्थिति में आपका ध्यान बंट सकता है और यही लापरवाही हादसे की वजह बन जाती है। - सांस के साथ प्रदूषण अंदर जाने से रोकने के लिए मुंह पर गीला रुमाल रखें। - पटाखे को टिन या शीशे की बोतल में रखकर कभी न चलाएं। - पटाखे चलाते समय पास में एक बाल्टी पानी जरूर रखें। सेहत का खयाल रखकर खाएं मिठाई
दीवाली का त्योहार हमारे लिए ढेर सारी मिठाई खाने का मौका लेकर आता है। भले ही डॉक्टर ने हमें ज्यादा मिठाई खाने से मना किया हो या मिलावटी खोये की खबरें देखकर हम चिंता करते हों, लेकिन जब मौका आता है और मिठाई सामने होती है तो हम खुद को रोक नहीं पाते। अपने घर में रहकर तो परहेज करना आसान होता है, लेकिन जब दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां जाना हो तो मना करना मुश्किल होता है। ऐसे में जरूरी यह है कि हम कुछ बातों का ख्याल रखें जिससे कि सलीका भी निभ जाए और सेहत भी बनी रहे। - जहां तक हो केवल मिठाई का एक ही पीस लें, वो भी ऐसी जिसमें ज्यादा चिकनाई न हो। - त्योहार के मौके पर दोस्तों या रिश्तेदारों के यहां जाने से पहले नाश्ता करके जाएं। - अगर संभव हो तो दोस्तों के यहां भी हल्का-फुल्का नाश्ता ही करें क्योंकि अगर किसी एक के यहां आपने पूरी डाइट ले ली तो बाकी लोगों के यहां नाश्ता करना भी भारी पड़ जाएगा। - चाहे अपने घर में हों या किसी दोस्त के यहां, किसी भी मिठाई से पेट भरने की कोशिश न करें क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है। - ड्राई फ्रूट्स से अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की मेहमाननवाजी करें, इनमें चिकनाई भी नहीं होती और ज्यादा दिनों तक इनका इस्तेमाल भी कर सकते हैं। - दीवाली और उसके बाद लगभग एक सप्ताह तक मिठाइयों और चिकनाई युक्त खाने का दौर चलता है, इसलिए पहले से तय कर लें कि इस दौरान आपका खानपान किस तरीके का होगा। - अगर आपको डाइबिटीज है और डॉक्टर ने आपको मिठाई खाने से बिल्कुल ही मना कर रखा है तो थोड़ा सा भी खाने से बचें। - अगर आपके घर पर मेहमान आ रहे हों तो उनसे पूछ लें और अगर सहमति हो तो पक्के खाने और तली भुनी चीजों के अलावा कच्चे खाने का विकल्प भी रखें। - इन एहतियातों के बावजूद अगर ज्यादा मिठाई या तली चीजें खा लें तो आगे लगभग दो माह तक इनसे बचें। (मलकीत सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,2.11.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
गुरुवार, 4 नवंबर 2010
पटाखे और मिठाई के बीच आपका स्वास्थ्य
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जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारियों से सजी , उम्दा पोस्ट। साड़ी बातें सहेज ली हैं मन मस्तिष्क में।
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