मंगलवार, 16 नवंबर 2010

शारीरिक शक्ति मिलती है पूर्णोंत्तानासन से

असंतुलित खान-पान के चलते कई लोगों को स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है। जिसके फलस्वरूप वे निर्बलता के शिकार हो जाता है। ऐसे में सामान्य जीवन के अतिरिक्त वैवाहिक जीवन भी प्रभावित होती है। इससे बचने के लिए प्रतिदिन सुबह कुछ समय पूर्णोत्तासन करें। इसके नियमित अभ्यास से अच्छा लाभ प्राप्त होगा।
आसन की विधि: साफ एवं स्वच्छ स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब हाथों को शरीर से चिपकाए रखें। जांघें व पैर भी सटी रहनी चाहिए। अब हथेलियों पर जोर देते हुए पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। जब पैर बिल्कुल ऊपर आ जाएं, तो कुछ क्षण रुककर उन्हें सिर की ओर उस अवस्था तक झुकाएं जब तक पांवों के पंजें जमीन पर ना टीक जाएं। अब हाथों को धीरे-धीरे सिर की ओर ले जाएं। पांवों को पकड़ लें और अपनी ओर खींचें। इस क्रिया से ठोड़ी गले की हड्डी से लग जाती है। यही इस आसन की पूर्णावस्था है। आसन के लाभ: इस आसन से सारे शरीर की मांसपेशियों तथा नस-नाडिय़ों में अपूर्व तनाव आता है। जिससे उनका बहुत अच्छा व्यायाम हो जाता है। इस योग से शरीर को शक्ति मिलती है। रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। यह आसन वैवाहिक जीवन के लिए भी काफी फायदेमंद है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,15.11.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।