दिल की धमनियों की रुकावट को दूर करने के लिए अब पहले से कहीं सुरक्षित स्टेंट का इस्तेमाल हो सकेगा। विश्व भर के एक हजार मरीजों पर इस तरह के प्रयोग के बाद दिसंबर महीने में पहली बार बायो-स्टेंट का प्रयोग किसी भारतीय मरीज पर किया जाएगा जिसके लिए ड्रग्स कं ट्रोलर अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी मंजूरी दे दी है। बायो स्टेंट प्रयोग करने की इजाजत फिलहाल देश के पांच प्रमुख केन्द्रों को दी गई है।
फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अशोक सेठ ने बताया कि अब तक प्रयोग किए जाने वाले मेटल के स्टेंट में धमनियों का थक्का तो दूर हो जाता था, लेकिन इन स्टेंट को बाहर निकालने का कोई विकल्प नहीं था। बायोडिस्वालेबल स्टेंट दो साल की अवधि के बाद अपने आप धमनियों के रक्त में घुल जाएगा, जिससे दिल में स्टेंट के मेटल के रहने की संभावना न के बराबर रहेगी। दिसंबर महीने में देश में पहली बार इस तरह का स्टेंट मरीज पर प्रयोग किया जाएगा। ड्रग्स कंट्रोलर ऑथारिटी ऑफ इंडिया ने फिलहाल देश के पांच प्रमुख संस्थानों को बायो स्टेंट के प्रयोग की मंजूरी दी है जिसमें केयर अस्पताल हैदराबाद, एसजीपीजीआई लखनऊ, मद्रास मेडिकल मिशन चेन्नई,एसएएल अस्पताल अहमदाबाद व फोर्टिस अस्पताल शामिल हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,17.11.2010)।
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