योग शास्त्र में प्राणायाम की क्रियाएं अच्छे स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। प्राणायाम में दो क्रियाएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है, पहली क्रिया है प्राण वायु को अंदर खींचते हैं या भरते हैं, दूसरी क्रिया है सांस द्वारा अंदर की वायु को बाहर की ओर निकालना।
योग भी भाषा में सांस लेने की क्रिया को पूरक और श्वास छोडऩे की क्रिया को रेचक कहा जाता है। इसका यही मतलब है कि हम जन्म के समय लेकर मृत्यु के समय तक पूरक और रेचक क्रिया करते हैं।प्राणायाम में सांस रोकने की क्रिया पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। सांस रोकने की इस क्रिया को कुंभक कहा जाता है। कुंभक दो प्रकार के होते हैं-
पहला है आभ्यांतर कुंभक, दूसरा है बाह्य कुंभक(दैनिक भास्कर,उज्जैन,24.11.2010)।
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