संयुक्त परिवारों की घटती संख्या एवं न्यूक्लियर फेमिली (एकल परिवार) के चलन का सबसे अधिक खामियाजा नवजात शिशुओं को भुगतना पड़ रहा है। संयुक्त परिवार की माताओं को बच्चों के लालन-पालन का हुनर विरासत में मिलता है, जबकि एकल परिवार की 'मॉडर्न मॉम्स' को अपने लाडले का पालन-पोषण डॉक्टरों की सलाह से करना पड़ता है। नौनिहालों के लिए ठंड का मौसम अत्यंत खतरनाक होता है लेकिन उन्हें 'कंगारू मदर केयर' से सुरक्षित रखा जा सकता है।
वाराणसी में यूनिसेफ, दैनिक जागरण और पहल की संयुक्त परिचर्चा में भाग लेने आए चिकित्सा विज्ञान संस्थान (बीएचयू) के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बीडी भाटिया के मुताबिक नवजात को गर्म रखना बहुत जरूरी है। 'कंगारू मदर केयर' के तहत बच्चों को 'स्किन टू स्किन कांटैक्ट' यानि बगैर कपड़े शरीर से चिपकाकर बदन की गर्मी दी जाती है। जिस समय बच्चा मां के पास होता है, माता उसे ज्यादातर समय अंत:वस्त्र खुले रखकर बीचोबीच सीने से लगाकर कंबल से ढंककर रखें। मां की अनुपस्थिति में पिता या घर के अन्य सदस्य भी अपने स्वच्छ शरीर से बच्चे को गर्म रख सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान बच्चा 37 डिग्री तापक्रम में रहता है, ऐसे में जन्म के उपरांत इस गर्मी को बरकरार रखना बच्चे के स्वास्थ्य के मद्देनजर जरूरी होता है। शिशु के बदन का तापमान गिरने से उसे हाइपोथर्मिया (तापमान की कमी से होने वाला रोग) हो सकता है।
डॉ. भाटिया ने बताया कि बच्चे द्वारा नित्य-क्रिया करने पर फौरनउसके कपड़ों को बदलना चाहिए। बच्चे के शरीर का तापमान पहचानने के लिए उसके तलवे व पेट का स्पर्श करना चाहिए। शिशु को ठंड से बचाने के लिए हाथ व पैरों में मोजे व दस्ताने पहनाकर रखें। चूंकि सिर के हिस्से से 'हीट लॉस' यानि गर्मी बाहर निकलती है, इसलिए उसे बराबर टोपी पहनाकर रखें। ठंड के अनुसार उसे दो-तीन या अधिक कपड़े पहनाकर रखें। धूप में अधिक देर तक ना रखें और इस दौरान सिर छूकर देखते रहें कि वह अधिक गर्म (बुखार या तेज धूप जैसी गर्मी) न होने पाए। जन्म के तुरंत बाद के बच्चों को तब तक स्नान न कराएं जब तक उसका 'अंबिलाइकल स्टंप' यानि नाभि नाल न गिर जाए। इस दौरान सिर्फ बच्चे के नित्यक्रिया करने पर उन्हीं अंगों को गुनगुने गर्म पानी से साफ करें(दैनिक जागरण,वाराणसी,28.11.2010)।
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