40 मिनट व्यायाम जरूरी व्यायाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सितंबर महीने में पहली बार विशेष गाइडलाइसं जारी की गई, जिसमें केवल जिम सेंटर की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना गया है। नई गाइडलाइंस के अनुसार 40 मिनट के व्यायाम के समय में 15 मिनट सघन व्यायाम जरूरी बताया गया है, 15 से 20 मिनट हल्का व्यायाम तथा शेष समय योग व आसन को दिया जा सकता है।
सघन व्यायाम की संज्ञा ऐसे व्यायाम को दी गई है, जिसमें शरीर से पसीना निकलना जरूरी है, इसे एग्जर्शन भी कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार एक जगह खड़े होकर भी व्यायाम करने में यदि दिल की धड़कन प्रति एक मिनट में 74 से 80 बार धड़क रही हैं तो इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। एग्जर्शन को शरीर की अतिरिक्त कैलोरी बर्न होने के लिए जरूरी बताया गया है, जिससे कोलेस्ट्रॉल की मात्र को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
फिटनेस एक्सपर्ट बताते हैं कि अतिरिक्त वसा को कम करने के लिए कम, लेकिन नियमित व्यायाम जरूरी है। अब तक के दिशानिर्देशों में बच्चों को वेट लिफ्टिंग की सलाह नहीं दी जाती थी, जबकि अब ऐसा माना जा रहा है कि 12 साल की उम्र के बाद एक्सपर्ट की मदद से वेट लिफ्टिंग भी की जा सकती है।
रखें सेंट्रल ओबैसिटी पर ध्यान
केवल मोटापा ही नहीं सेंट्रल ओबेसिटी लोगों को अधिक परेशान कर रही है, जिसमें रक्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल व चर्बी की मात्र पेट पर टिक जाती है, और कमर का घेरा 80 सेमी से अधिक बढ़ जाता है।
कैसे पहचानें पेट के मोटापे को ओबैसिटी की पहचान के लिए डॉक्टर स्किटस्कैनिंग करते हैं, जिसमें मरीज को रेडियोएक्टिव युक्त खाद्य देते हैं, पेट में मौजूद रेडियोएक्टिव तत्व इसकी मॉनिटरिंग करता है कि कितनी देर खाना आमाशय में रहा। एक घंटे बाद भी आमाशय में 10 प्रतिशत से ज्यादा खाना रहा तो इसे सेंट्रल ओबेसिटी की शुरुआत माना जाता है। महत्वपूर्ण है कि पेट में खाना जाने पर ही वह रक्त में स्टार्च के रूप में घुल जाता है, जिसे एनर्जी फूड भी कहा जाता है।
महारोग बनता मोटापामोटापा आज के समय में देश की एक बड़ी बीमारी बनता जा रहा है। बच्चों खासकर इसका शिकार हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में मोटे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हम सभी जानते हैं कि औसत से अधिक मोटा होने से हमारी तमाम गतिविधियों पर असर पड़ता है, इसके बावजूद हम अपने खाने-पीने की आदतों पर ध्यान नहीं देते।
यही वजह है कि स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है। एक तो खाने-पीने की बिगड़ी आदतें, दूसरे व्यायाम के लिए समय न निकालना, ये दो खास वजहें हैं, जिनकी वजह से देश में मोटे लोग बढ़ रहे हैं। दिक्कत यह है कि जब तक हमारा वजन जरूरत से ज्यादा नहीं बढ़ता और लोग टोकना शुरू नहीं करते, हम अपनी सेहत की ओर ध्यान नहीं देते।
मोटा होना कई तरह की बीमारियों का शुरुआती लक्षण भी है। इससे सुस्ती, भारीपन, नींद ज्यादा लगना, काम में मन न लगना जैसी दिक्कतें भी शामिल हैं। हालत बिगड़ने पर उच्च या निम्न रक्तचाप, हार्ट अटैक और डायबिटीज जैसे खतरे भी हो सकते हैं। इसलिए ये तय करना जरूरी है कि हम क्या खा पी रहे हैं और कब। अगर हम कुछ बुनियादी बातों को समझ लेंगे और इन्हें अपनाना शुरू कर देंगे तो हमारी सेहत हमारे हाथ में रहेगी।
दीपक
हेल्थ टिप्स/ क्या खाएं, क्या न खाएं
- खाने में फास्ट फूड को बिल्कुल कम कर दें। पिज्जा, बर्गर, चाउमीन और मैगी जैसी डिशों से परहेज करें
- तली भुनी चीजों जैसे समोसे और छोले भठूरे को भूख मिटाने का खाना न बनाएं, इसकी जगह रोटी, सब्जी, दाल और चावल की पूरी डाइट लें
- पूरी तरह भूख लगने पर ही खाएं, शाम को पांच बजने के बाद भारी खना न खाएं और कम पानी पिएं
- सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे के बीच खूब पानी पिएं
- अगर आपका पाचन सिस्टम खराब है तो सुबह ब्रश करने के बाद रोज एक सेब खाएं। इससे आपका पाचन बेहतर होगा
- सुबह खाली पेट चाय न पिएं, हल्का फुल्का नाश्ता करने के बाद ही चाय लें
- रात के खाने के बाद लगभग एक मील यानी डेढ़ किलोमीटर धीरे धीरे पैदल टहलें
- मौसम के फलों को खाने की आदत डालें
-खाने में दही को शामिल करें, इससे भी पाचन दुरुस्त रहता है
- रात के खाने में केवल चावल न लें, यह आपका पेट खराब कर सकता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है।
(निशि भाट,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
शुक्रवार, 26 नवंबर 2010
मोटापा
मोटापे का जिंदगी में दखल बढ़ता जा रहा है। नेशनल डायबिटीक एंड कोलेस्ट्रॉल रिसर्च फाउंडेशन के ताजा सर्वेक्षण में बच्चों में बढ़ते मोटापे की समस्या को गंभीर बताया गया है। जबकि हकीकत यह है कि 5 साल के बच्चों से लेकर से 50 वर्षीय हर दसवां वयस्क देश में मोटापे की वजह से चिंतित है। केवल मोटापा ही नहीं इसके साथ आने वाली बीमारियों का अंदेशा अधिक फिक्रमंद बना रहा है। हालांकि मोटापे की चिंता का हल जीरो फिगर को भी नहीं कहा जा सकता।
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बहुत ही अच्छी जानकारी ।
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