मंगलवार, 30 नवंबर 2010

जांघों और बांहों की मजबूती के लिए "कोण संतुलासन"

यदि आप अपनी जांघों और बाहों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो कोण संतुलासन करें। इस आसन के नियमित अभ्यास से जल्द ही आपके पूरे शरीर के साथ ही जांघों और बाहों को मजबूती प्राप्त होगी।


आसन की विधि- 
किसी सुविधाजनक स्थान पर आसन या कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। अब नितम्ब को फर्श पर टिकाकर दोनों पैरों को कुछ दूरी पर रखें। पैरों को सामने की ओर फैलाएं। अब हाथों की तर्जनी व मध्यमा अंगुलियों से पैरों के पंजो को पकड़ कर गहरी सांस लें। इसके बाद सांस को छोड़ते हुए पैरों को फर्श से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे पैरों को बगल में फैलाते हुए घुटनों व कोहनियों को सीधा करने की कोशिश करें। शरीर को तानकर व संतुलन बनाकर रखें। आसन की इस स्थिति में शरीर का पूरा भार नितम्ब (हिप्स) पर होना चाहिए। इस स्थिति मेंकुछ देर तक रुकें। फिर गहरी सांस लेकर शरीर को पीछे की ओर झटका देकर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। इस प्रकार इस क्रिया को 5 से 7 बार करें। इस आसन को शुरूआत में करना कठिन होता है परंतु इसके अभ्यास से आसान हो जाता है।

कोण संतुलासन के लिए सावधानी
कोण संतुलासन को आरम्भ में करना कठिन होता है, इसलिए पैरों को जितना ऊपर उठाकर फैला सकते हैं, आरम्भ में उतना ही फैलाएं। इस आसन के लिए संतुलन जरूरी है इसलिए इस आसन की स्थिति में पूरी तरह संतुलन बनाएं रखें।

कोण संतुलासन के लाभ
यह आसन जांघों व बाहों को मजबूत बनाता है। इस आसन से पुरूषार्थ बढ़ता है। साथ ही अन्य कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं(दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.11.2010)।

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