आजकल देश में एक ही गोत्र में हुए विवाहों को लेकर बावेला मचा हुआ है । और तो और, इसको हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों की सर्वजातीय सर्वखाप पंचायतें किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को राजी नहीं हैं। वे तो इस मसले को लेकर केंद्र सरकार पर हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन का दबाव बना रही हैं। बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर जिले के गांव सोरम में बालियान खाप के मुखिया चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में इन खापों की इस बाबत महापंचायत भी हुई जिसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश सहित उपरोक्त राज्यों के अनेक जातीय दिग्गजों ने भाग लिया। महापंचायत ने सर्वसम्मत निर्णय लिया कि सगोत्र विवाह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कारण यह है कि आजकल आधुनिकता के नाम पर समाज की उस परंपरा को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें रक्त संबंधियों के बीच विवाह को वर्जित माना गया है। महापंचायत की राय थी कि पश्चिमी सभ्यता के नाम पर हमारी भारतीय संस्कृति को समूल नष्ट किए जाने की साजिश की जा रही है।
इसमें दो राय नहीं कि सगोत्र विवाह होने पर आने वाली नस्लों की दशा और दिशा दोनों ही बिगड़ जाएगी। इससे जाहिर होता है कि समाज के लोग आधुनिकता के दौर में भी पूर्वग्रहों से मुक्त नहीं हो पाए हैं और परंपरा, संस्कृति और मान्यताओं के नाम पर अपनी नाक के सवाल पर मरने मारने तक को उतारू हो जाते हैं। असलियत यह है कि वर्तमान में देश में निकट के रिश्तों में शादियां बड़ी संख्या में हो रही हैं। ऐसी शादियां दुनिया के बहुत से देशों और समुदायों में प्रचलित हैं। इस मामले में एक दूसरा पक्ष भी है। ऐसे विवाह जीव वैज्ञानिक दृष्टि से गलत हैं और इनके नतीजे उनके बच्चों में आनुवंशिक विकृतियों के रूप में सामने आते हैं। आनुवंशिक वैज्ञानिकों द्वारा अमेरिका के अटलांटा स्थित रोग नियंत्रण केंद्र में समरक्त रिश्ते में हुई शादियों और उनके आनुवंशिक, सामाजिक और जन-सांख्यिकीय संबंध में किए गए विस्तृत अध्ययन में यह साबित हुआ है कि समरक्त, सपिंड या सगोत्रीय भाई-बहन में पति-पत्नी का संबंध बनने पर, उनसे पैदा बच्चों के युवा होने से पहले ही मरने की आशंका रहती है। भारत में आनुवंशिक वैज्ञानिक आईसी वर्मा के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि समरक्त माता-पिता के बच्चों में शारीरिक विकृति होने की आशंका डेढ़ गुना अधिक होती है। बेंगलुरु और मैसूर के ५० अस्पतालों में किए अध्ययन से भी ऐसे विवाहितों में आनुवंशिक विकृतियां सिद्ध हुई हैं । गौरतलब है कि सभ्यता, संस्कृति तथा परंपरा के बल पर समाज जीवित रहता है, यदि इन्हीं को दरकिनार कर दिया जाएगा, फिर समाज कहां रह जाएगा। जरूरत समाज में नैतिक पतन रोकने की है(ज्ञानेन्द्र रावत,नई दुनिया,दिल्ली,30.11.2010)।
शायद मेरी सोच अलग है इसलिए... पर ये समाज के दिग्गज कहलानेवाले, एक काम क्यूं नहीं करते... एक act लाया जाए, "ADAM-EVE Act" जिसके अंतर्गत जो कोई भी Adam-Eve के बच्चे या उनके वंशह से हैं, वो आपस में शादी नहीं कर सकते... ये दिग्गज लोग बहुत महान हैं, जो चाहे जैसा चाहें बाकी लोग भी वैसा ही करें, और कानून व्यवस्था भी उन्ही के हिसाब से चले... अरे! जब बच्चे के माँ-बाप को को दिक्कत नहीं है तो तुम्हे क्यूं है भई... और रही बात "अनुवांशिकी" की तो as being science student, मै इसे नहीं मानती... chromosomal problem किसी में भी हो सकती है...
जवाब देंहटाएंयदि मेरे विचार से आप असहमत हों तो M sorry, but मुझे जो सही लगा मैंने बता दिया... धन्यवाद...
आनुवंशिकिविद इसे ही अन्तःप्रजनिक अवदाब -इन्ब्रीडिंग डिप्रेसन कहते है -होता यह है की अगर ऐसे रिश्तों में बारम्बारता होती रहे तो विकारग्रस्त जीन डबल डोज में दबंग हो जाते हैं और विकारों का प्रगटन शुरू हो जाता है ..
जवाब देंहटाएंमैं भी ऐसी शादियों के पक्ष में नहीं हूँ !
@Pooja,
जवाब देंहटाएंyou have got a very valid point. But can we ignore the research done and the facts presented.
पंडित अरविंद मिश्र जी की बात से सहमत!भावनात्मक नहीं तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक व्याख्या!!
जवाब देंहटाएंअरविन्दजी की बात से पूरी तरह सहमत....
जवाब देंहटाएंसगोत्र शादी तो खैर हमारे यहां वैध नहीं। पर सिक्के का दूसरा पहलू है कि हमारे यहां जाति के बाहर शादी पर भी बवाल मचता है। क्या इसके कारण भी हमारे यहां कुछ कमजोरियां नहीं आई हैं। अगर विवाह जाति औऱ धर्म से बाहर भी की जाए तो कोई आपत्ति पहले नहीं होती थी, तो अब क्यों।
जवाब देंहटाएं@All and Yogesh ji... अगर आस-पास के रिश्तेदार हं तो बात समझ आती है... पर, मैं यहाँ, मेरे गोत्र का कोई बंद जिसे मैं, मेरा परिवार या पीढी भी नहीं जानती, कही से कही तक कोई जान-पहचान भी नहीं... तब कहाँ से mutation problem आएगा??? रिश्तेदारी की बात समझ में है, उसीमें research हुई होगी... अभी research कि सारी reporting तो आने दीजिये... कि testing किस-किस के chromosomes के बीच हुई???
जवाब देंहटाएं@पूजा जी,
जवाब देंहटाएंतो क्या अभी तक जो टेस्टिंग हुई है वो पूरी तरह से नहीं हुई?
वैसे आपकी बात सुन कर लगता है के हमारा मीडिया और हमारे वैज्ञानिक बिना पूरी तरह से तसल्ली किये ये बातें आम जनता में लीक कर देते हैं. और मेरे जैसे बहुत से लोग इस से भ्रमित भी हो सकते हैं.