माता के गर्भ में पल रहे शिशु के हृदय-फेफड़े या मूत्रनली में छेद हो या आहारनली को लेकर कोई समस्या। यही नहीं स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन की बड़ी विकृति से शारीरिक विकलांगता। शिशु की तमाम विकृतियों को माता के गर्भ में ही देखकर उसे वहीं ऑपरेशन के जरिए ठीक करने का ठिकाना अब कोलकाता भी बन गया है। विकृतियों की खोज और ऑपरेशन की जटिल पद्धति फीटल देश में चेन्नई के बाद कोलकाता में भी प्रयोग में लाई जा रही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ इसे कोलकाता की आधुनिक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में प्रमुख अध्याय मान रहे हैं। कोलकाता के एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आमरी)अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की फीटल मेडिसिन यूनिट में रोजाना 15 से 20 गर्भस्थ शिशुओं की जटिलताओं का पता लगाकर गर्भ में ही उनका इलाज किया जा रहा है। देश में फिलहाल इसका विशेषज्ञ प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं है। अस्पताल के कुछ चिकित्सकों ने इसका प्रशिक्षण इंग्लैंड में हासिल किया है। हाल में ही इस तकनीक से एक महिला के गर्भ में पलने वाले 24 सप्ताह के एक शिशु की मूत्र नली में छिद्र को सफलता पूर्वक बंद किया गया। छिद्र के कारण शिशु के पेट में काफी मात्रा में मूत्र जमा हो गया था(कृष्णचंद्र द्विवेदी,दैनिकजागरण,कोलकाता,15.11.2010)।"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
सोमवार, 15 नवंबर 2010
अब कोलकाता में भी गर्भ में शिशु का ऑपरेशन
माता के गर्भ में पल रहे शिशु के हृदय-फेफड़े या मूत्रनली में छेद हो या आहारनली को लेकर कोई समस्या। यही नहीं स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन की बड़ी विकृति से शारीरिक विकलांगता। शिशु की तमाम विकृतियों को माता के गर्भ में ही देखकर उसे वहीं ऑपरेशन के जरिए ठीक करने का ठिकाना अब कोलकाता भी बन गया है। विकृतियों की खोज और ऑपरेशन की जटिल पद्धति फीटल देश में चेन्नई के बाद कोलकाता में भी प्रयोग में लाई जा रही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ इसे कोलकाता की आधुनिक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में प्रमुख अध्याय मान रहे हैं। कोलकाता के एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आमरी)अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की फीटल मेडिसिन यूनिट में रोजाना 15 से 20 गर्भस्थ शिशुओं की जटिलताओं का पता लगाकर गर्भ में ही उनका इलाज किया जा रहा है। देश में फिलहाल इसका विशेषज्ञ प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं है। अस्पताल के कुछ चिकित्सकों ने इसका प्रशिक्षण इंग्लैंड में हासिल किया है। हाल में ही इस तकनीक से एक महिला के गर्भ में पलने वाले 24 सप्ताह के एक शिशु की मूत्र नली में छिद्र को सफलता पूर्वक बंद किया गया। छिद्र के कारण शिशु के पेट में काफी मात्रा में मूत्र जमा हो गया था(कृष्णचंद्र द्विवेदी,दैनिकजागरण,कोलकाता,15.11.2010)।
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नी जानकारी देती पोस्ट |बधाई |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
Useful and informative post.
जवाब देंहटाएंAchhi jankari..... desh me medical ki duniya me nit naye prayog ho rahe hain.... :)
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