अब सरकार ऐसे नियम बनाने जा रही है जिससे बिना पर्ची के मेडिकल स्टोर्स से आपको एंटीबायोटिक्स नहीं मिल सकेगी। और तो और आपको एक ही दवा अगर दोबारा खरीदनी हो तो आपको डॉक्टर से फिर से एक नई पर्ची लेनी होगी। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सिफारिश की है कि अब डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाओं का नुस्खा लिखते समय दो पर्ची बनाएंगे जिसमें से एक पर्ची केमिस्ट को अपने पास दवा की बिक्री के दिन से लेकर एक साल तक रखनी होगा ताकि इनकी जांच-पड़ताल की जा सके। फिलहाल यह नियम अस्तित्व में है कि बिना पर्ची के कोई दवा विक्रेता एंटीबायोटिक्स न बेचे लेकिन इसका पालन कोई नहीं करता। नए कदम का उद्देश्य व्यापक पैमाने पर हो रहे एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग को रोकना है। इसके लिए जरुरी है कि अमरीका सहित पश्चिमी देशों की तरह दवा विक्रेता बिना डॉक्टर की पर्ची के एंटीबायोटिक्स बेचना बंद कर दें। एंटीबायोटिक्स को लेकर यह कदम हाल ही में सुपरबग की चर्चा के बाद शुरु हुआ है जिसके लिए भारत को दोषी ठहराया जा रहा है। सुपरबग के पनपने की वजह एंटीबायोटिक्स को ही माना जाता है। सुपरबग एनडीएम-1 यानी नई दिल्ली मेटैलो-बीटा-लैक्टामेज-1 एक ऐसा एंजाइम है जो अलग तरह के बैक्टीरिया के अंदर आसानी से रह सकता है। इस एंजाइम को जो भी बैक्टीरिया अपने साथ लेकर चलेगा उस पर कार्बापेनेम नामक सर्वाधिक शक्तिशाली एंटीबायोटिक का भी कोई असर नहीं होता है। विशेषज्ञों को डर है कि इस तरह ऐसे खतरनाक संक्रामक रोग पैदा हो सकते हैं जिनका इलाज लगभग नामुमकिन होगा।
अलग अनुसूची :
डीसीजीआई ने अपने फैसले को मजबूती से अमली जामा पहनाने के लिए ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत एंटीबायोटिक्स को एक अलग अनुसूची में रखने का फैसला किया है। नई अनुसूची में जिन 50-60 एंटीबायोटिक्स को रखने की बात कही गई है, उनमें 15 से 20 हैबिट फॉर्मिंग ड्रग (यानी लत पैदा करने वाली दवाइयां) भी शामिल हैं(दैनिक जागरण,भोपाल संस्करण,2.11.2010 में दिल्ली की ख़बर)।
अच्छी जानकारी है...
जवाब देंहटाएंIt's a correct decision !
जवाब देंहटाएंआज भी नींद की गोलियाँ या कई और दवाएँ बिना पर्ची के नहीं दिए जाने का नियम है... मगर आसानी से मिल जाती हैं वे दवाएँ...आवश्यकता क़ानून की नहीं उनके अनुपालन की है और लागू करने की है!!
जवाब देंहटाएंBilkul sahi nirniy...... Apne achhi jankari sajha ki aabhar
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