सब्जियां उगाने व उनको सुरक्षित रखने के लिए खतरनाक रसायनों का प्रयोग करने के संबंध में एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने मामले में केंद्र व दिल्ली सरकार से जबाव मांगते हुए एक दिसंबर की तारीख तय की है। खंडपीठ ने इस मामले में दो वकीलों को एमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया है। साथ ही उस गैर सरकारी संगठन को भी नोटिस भेजने के लिए कहा है जिसकी रिसर्च के आधार पर यह रिपोर्ट छापी गई थी। ताकि वह गैर सरकारी संगठन भी अदालत की सहायता कर सके। वही केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के वकीलों ने कहा है कि जरूरत हुई तो वह इस संबंध में एक बैठक भी आयोजित करेंगे, क्योंकि यह मामला स्वास्थ्य से जुड़ा है।
खंडपीठ ने कहा कि समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट को देखकर यह कहना मुश्किल है कि समाज को इस पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जिसमें एक रिसर्च के आधार पर यह बताया गया है कि सब्जियां व फल के उत्पादन व उन्हें सुरक्षित रखने की प्रक्रिया में इस्तेमाल रसायनों के कारण वह जहरीले बनते जा रहे हैं जो कई गंभीर बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार इसमें जवाब दायर करे।
एक गैर-सरकारी संगठन कंज्यूमर वाइस की रिसर्च के आधार पर छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि सब्जियों को उगाने व उनको सुरक्षित रखने के लिए जिन रसायनों का प्रयोग हो रहा है वह उनको स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बना रहे है। इन सब्जियों में खतरनाक रसायनों के प्रयोग से यह न्यूरोलोजिकल, किडनी खराब होने, त्वचा की बिमारियां, कैंसर सहित अन्य कई गंभीर बिमारियां हो सकती है। इन सब्जियों से उठाए गए सैंपल से पता चला है कि इनमें क्लॉरडेन, एंड्रीन, हेप्टाक्लोर, ईथाइल और पैराथियोन केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक जिन सब्जियों से सैंपल उठाने की बात कही गई है उनमें आलू, टमाटर, लौकी, टिंडा, ककड़ी, परवल, मटर, करेला, पालक, चुकंदर, कमल ककड़ी आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं भारत में प्रयोग हो रही पांच कीटनाशक दवाइयों में से चार दवाइयां विश्व स्तर पर प्रतिबंधित है। (दैनिक जागरण,दिल्ली,3.11.2010 में प्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित)।
अच्छा कदम। स्वागत किया जाना चाहिए। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
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