पोलियो, डिप्थीरिया और खसरा जैसी जानलेवा बीमारियों की तरह महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने की तैयारी है। एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ.नीता सिंह ने यह पहल की है। इस वैक्सीन को बनाने सम्बन्धी शोध में उन्हें काफी हद तक सफलता मिल गई है। चूहों पर इसका सफल प्रयोग भी किया जा चुका है। सोमवार को छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विवि के बायोकेमिस्ट्री विभाग के 25वें स्थापना दिवस पर वह बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थीं। उन्होंने बताया कि भारत में ही हर साल 1.34 लाख महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आ जाती हैं, इनमें से लगभग 84 हजार की इसी बीमारी के चलते मौत हो जाती है। गन्दगी और सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं में इसका खतरा होता है। कार्यक्रम में बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ.अब्बास अली मेहंदी ने विभाग की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शोध को बढ़ावा देने के लिए यहां मॉलीक्यूलर सेल बायोलॉजी लैब, फ्री रेडिकल बायोलॉजी लैब, इनबॉर्न एरर ऑफ मेटाबोलिज्म लैब और क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री, एंडोक्राइनोलॉजी और इम्यूनोलॉजी लैब तैयार करायी जा रही हैं। कार्यक्रम में विवि कुलपति प्रो.सरोज चूड़ामणि, वरिष्ठ एनॉटमिस्ट प्रो.मेहंदी हसन, डीन मेडिकल प्रो.जेवी सिंह, मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ.एसएन शंखवार समेत अन्य वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे।
क्या है सर्वाइकल कैंसर :
यह महिलाओं में होने वाली बीमारी है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इसके लिए जिम्मेदार होता है। महिलाओं में इसका संक्रमण ऐसे पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से होता है, जिसमें इस वायरस का संक्रमण हो। इसका संक्रमण होने जननांगों से तीक्ष्ण गंध और स्राव निकलते हैं। भारतीय महिलाओं की अपेक्षा विदेशी महिलाओं में यह बीमारी अपेक्षाकृत कम उम्र में होती है। शोध के अनुसार भारत में यदि रोग का शिकार महिलाएं औसतन 24 वर्ष की आयु के बाद होती है तो विदेशों में यह उम्र 12 वर्ष है(दैनिक जागरण,लखनऊ,2.11.2010)।
हमें गर्व है ऐसे चिकित्सा संस्थानों पर!!
जवाब देंहटाएंअच्छा काम किया है एम्स की टीम ने ।
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