नई दिल्ली स्थित एम्स की डायटीशियन माला मनराल के अनुसार खानपान की गलत आदत हमें बीमार न कर दे, इसलिए संतुलित आहार लेना सबसे जरूरी है। आइये जानें कि कैसा होना चाहिए हमारा संतुलित आहार..
कैलोरी : उम्र के अनुसार बॉडी वेट को ध्यान में रखते हुए नियत मात्र में कैलोरी लें। प्रेग्नेंसी व केटाबॉलिक बुखार के दौरान कैलोरी की मात्र बढ़ा सकते हैं।
प्रोटीन : प्रोटीन के रूप में प्रतिदिन 10-20 प्रतिशत कैलोरी लें। ध्यान रहे कि यह एक बालिग के आरडीए से कम न हो। किशोरों, गर्भवती महिलाओं व बीमार व्यक्तियों के लिए खासकर इसकी मात्र का ध्यान रखें।
वसा : संतृप्त वसा प्रतिदिन 10 प्रतिशत कैलोरी से कम लें। पूरी कैलोरी का 10 प्रतिशत तक पॉलिसेचुरेटेड फैट हो सकता है। इलाज के दौरान फैट की मात्र में चेंज किया जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल : प्रतिदिन 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।
सीएचओ : यह इलाज व इंसुलिन की मात्र के साथ बदलता रहता है।
मीठा : मीठे के रूप में यदि सुक्रोज का सेवन किया जाए तो काफी हद तक मधुमेह पर कंट्रोल किया जा सकता है। भोजन व दवाइयों के साथ ऐसी चीजें ले सकते हैं, जिसमें मीठे की मात्र कम हो।
फाइबर : प्रतिदिन लगभग 20-35 ग्राम फाइबर ले सकते हैं। चूंकि आइडीडीएम में वजन कम करने की जरूरत नहीं होती, इसलिए इसके रोगी को ‘सिक्स मील्स पैटर्न’ के अंतर्गत सुबह, दोपहर व शाम के खाने के अतिरिक्त तीन बार कुछ स्नैक्स भी दिया जा सकता है। हालांकि ऐसा करने से पहले मरीज की उम्र व उसकी कार्यशैली का ध्यान रखा जाता है। (हिंदुस्तान,दिल्ली,9.11.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
गुरुवार, 11 नवंबर 2010
खुराक - कब और कितनी
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