मेडिकल स्टोर्स में मल्टी विटामिन के नाम पर फलों का जूस बेचा जा रहा है। इसकी पैकिंग बिलकुल दवा की तरह है। इस वजह से लोग धोखा खा रहे हैं। इंडियन फार्मो कोपियर(आईपी) से न इसे प्रमाणित किया गया है और न ही शुद्धता की मुहर लगी है। इसके बावजूद डॉक्टर्स धड़ल्ले से मल्टी विटामिन बताकर इन्हें मरीजों के लिए लिख रहे हैं।
खाद्य एवं औषधि विभाग के छापों के बाद इस बात का खुलासा हुआ। छापे के दौरान ही विभाग ने 10 किस्म का फलों का जूस पकड़ा। इन्हें विटामिन के नाम पर बेचा रहा था। चौंकाने वाली यह है कि टॉनिक बताकर बेचे
जा रहे जूस की पैकिंग में कंपनी ने खुद ही ‘नॉट फॉर मेडिसिनल यूज’ यानी दवा के रूप में उपयोग के लिए नहीं लिखा है। इसके बावजूद डॉक्टरों ने आंखें मूंद ली हैं। ‘दैनिक भास्कर’ ने खाद्य एवं औषधि विभाग के छापे के बाद शहर की दवा दुकानों का सर्वे किया।
राजधानी की हर छोटी-बड़ी दुकान टॉनिक जैसी पैकिंग में फूड ड्रिंक का स्टॉक नजर आया। आंबेडकर अस्पताल के आस-पास की मेडिकल स्टोर्स में भी इसका भारी भरकम स्टॉक था।
कुछ मेडिकल स्टोर्स के संचालकों से पूछताछ के बाद पता चला कि आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर भी टानिक के नाम पर यही लिखकर दे रहे हैं। मेडिकल स्टोर्स वालों का कहना था कि डॉक्टर लिखकर दे रहे हैं, इसलिए मजबूरी में उन्हें स्टाक रखना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा पीडियाट्रिक यानी शिशु रोग विभाग के डॉक्टर फूड ड्रिंक लिख रहे हैं।
ऐसे खुला राज
खाद्य एवं औषधि विभाग के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर एस बाबू के नेतृत्व में इंस्पेक्टरों की टीम ने दवा दुकानों में छापे मारे। अमला हैरान रह गया कि आईपी से प्रमाणित न होने के बावजूद दवा दुकान वाले इसे कैसे बेच रहे हैं। राज्य की कई दवा दुकानों से फूड ड्रिंक के सेंपल इकट्ठा किए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट विभाग के संचालक एस. सुब्रमणियम को सौंप दी है।
फलों का रस इसलिए..
भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार कंपनियों को दवा का निर्माण करना पड़ता है। टॉनिक या गोली के रूप में विटामिन बनाने के बाद उसकी जांच इंडियन फार्मो कोपियर यानी आईपी से जांच करवाने का प्रावधान है। परीक्षण में खरा उतरने पर उसमें इसकी मुहर लगाई जाती है।
दवा दुकानों में बिक रही कथित मल्टी विटामिन की जांच का मापदंड तय नहीं है। ऐसी दशा में उनका परीक्षण नहीं किया जा सकता है। यह प्रमाणित नहीं है। इसलिए फलों का जूस ही बेचा जा रहा है।
जांच रिपोर्ट में आया है कि मल्टी विटामिन के नाम पर फलों का जूस बेचा जा रहा है। इसे रोकने के लिए बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने इंस्पेक्टरों की बैठक बुलाई है।
- सुब्रमणियम, संचालक खाद्य एवं औषधि विभाग
फलों का जूस-उप संचालक
यह फलों का जूस है। इसे दवा दुकानों में नहीं बेचा जा सकता। आला अफसरों को रिपोर्ट दे दी गई है।
-एस. बाबू, उप संचालक खाद्य एवं औषधि विभाग
विटामिन के नाम पर बिकने वाला फलों का जूस
फोर्टस-बी, एक्स-बैक्स हिमाचल प्रदेश, जिंकोविट तामिलनाडू, न्यूरोबैक्स हिमाचल प्रदेश, चियर मुंबई, विश्यरण, आईरोसोल कोलकाता, ई-जिंक देहरादून, मलमीन बैंगलोर आदि प्रमुख हैं।
असली टॉनिक से अंतर
> मल्टी विटामिन के नाम पर बिकने वाले जूस में एक्सपायरी डेट नहीं है
> एक्सपायरी डेट के स्थान पर बेस्ट फॉर 12 मंथ लिखा है
> आईपी की मुहर नहीं
> पैकिंग में लिखा है, दवा के रूप में उपयोगी नहीं।
(मोहम्मद निजाम,दैनिक भास्कर,रायपुर,11.11.2010)
गनीमत है.
जवाब देंहटाएंअगर ज़हर जूस से सस्ता होता तो वही टॉनिक के नाम पर बिकता. बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीशगढ़ और झारखण्ड के ग्रामीण इलाकों में आधे से ज्यादा लोग टॉनिक के नाम पर रंगीन शरबत और टेबलेट के नाम पर आटा और चूना गटक रहे हैं. मुझे शर्म आती है जब कोई ओबामा-सोबामा चापलूसी में INDIA को महाशक्ति बता कर दिल्ली में अपना कबाड़ बेच जाता है और हम टीवी-अख़बार में यह खबर पढ़ कर मारे ख़ुशी के लाल हो रहे होते हैं. लालची नेताओं, अफसरों, डाक्टरों, ब्यापारियों......आदि-आदि से भरे इस देश में पैदा होकर मुझे अब फक्र नहीं होता.