रविवार, 28 नवंबर 2010

छत्तीसगढ़ःभूजल से लीवर व हड्डियों को खतरा

छत्तीसगढ़ के भूमिगत जल में ऐसे जहरीले तत्व मिले हैं जिनसे किडनी, लीवर और फेफड़े खराब हो जाते हैं। शरीर में खून बनना भी कम हो जाता है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के डिपार्टमेंट आफ ड्रिंकिंग वाटर सप्लाय की ताजा सर्वे रिपोर्ट पर भरोसा करें तो प्रदेश में भूगर्भीय जल क्षारीय तत्वों से प्रदूषित है। रिपोर्ट में रायपुर जिले का जिक्र नहीं है। बाकी सभी 17 जिलों में पानी के 8 हजार 838 नमूनों का परीक्षण किया गया।

इनमें से 8 हजार 747 नमूनों में भरपूर आयरन मिला है। धमतरी, दुर्ग और रायगढ़ जिलों के पानी के 65 नमूनों में सेलिनिटी पाई गई है। सरगुजा जिले के पानी में नाइट्रेट भी पाया गया है। बीजापुर, दुर्ग और कोरिया और रायगढ़ जिलों का पानी फ्लोराइड से प्रदूषित है।

पानी में आयरन की अत्यधिक मात्रा की वजह से बस्तर, दंतेवाड़ा, जशपुर, सरगुजा आदि जिलों में ग्रामीणों की हड्डियों में इंफेक्शन के मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश में 2003 में हुए एक सर्वे में ही यह पता लग गया था कि 5 हजार 21 बसाहटों में प्रदूषित पानी है। इनमें साफ पानी सप्लाई करने कोई प्रयास नहीं हुआ। पिछले साल राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत वार्षिक कार्ययोजना के लिए 88 करोड़ 27 लाख रुपए का प्रावधान किया गया।

इस राशि का उपयोग जल गुणवत्ता प्रभावित इलाकों में पेयजल स्रोतों में सुधार के लिए करना था। इसी कार्यक्रम के तहत आदिवासी बहुल इलाकों में प्रदूषित पानी वाले इलाकों में पानी की जांच करने 39 प्रयोगशालाएं स्थापित करने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसके लिए केंद्रसरकार से 287 लाख रुपए मांगे गए हैं।

अफसरों का दावा है कि बीजापुर और नारायणपुर जिलों को छोड़ सभी जिलों में प्रयोगशालाएं स्थापित कर दी गई हैं। हैंडपंप सुधार, नलकूपों की सफाई भी कराई जा रही है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद अपेक्षित नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं।

पीएचई मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि प्रदूषित पानी वाले प्रभावित इलाकों में आयरन रिमूवल प्लांट लगाए जाएंगे। बस्तर, भोपालपट्टनम आदि क्षेत्रों में फिलहाल नदी, बांधों, व तालाबों का साफ पानी इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई है। विशेषज्ञों का दावा है कि सतही पानी शुद्ध होता है।

डॉक्टर की राय
आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा पानी में है तो लीवर, किडनी, हड्डियों और फेफड़ों के खराब होने का खतरा रहता है। पानी उबालकर पीने के बाद भी जहरीले तत्व कितने कम होते हैं यह टेस्ट करना जरूरी है-डॉ. जी.बी. गुप्ता, विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग, डॉ. आंबेडकर अस्पताल(दैनिक भास्कर,रायपुर,28.11.2010)

2 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ भी रिपोर्ट में घपला है रायपुर को क्यों छोड़ दिया गया...? हर जगह सौदेवाजी है जनहित और सामाजिक सरोकार तो बहाना है.....

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।