गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

जर्मन खसरे और हीमोफीलियस इनफ्लूएंजा का टीका मिलेगा मुफ़्त

ऊंची कीमत की वजह से गरीब बच्चों से दूर रहे दो और टीके अब राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होकर उन तक पहुंचने वाले हैं। देश भर में 10 से 15 साल की लड़कियों को अब रूबेला (जर्मन खसरे) का मुफ्त टीका दिया जाएगा। इसी तरह सरकार ने नवजात बच्चों को हीमोफीलियस इनफ्लूएंजा के टाइप-बी (एचआई-बी) के टीके की जरूरत को भी मान लिया है। हालांकि, इससे जुड़े विवादों और किसी दुष्प्रभाव की आशंका को देख पहले साल इसे सिर्फ दो राज्यों तमिलनाडु और केरल में ही शुरू किया जाएगा। भूटान और पाकिस्तान सहित दुनिया के 137 देश पहले से ही अपने नवजातों को एचआई-बी का टीका दे रहे हैं, लेकिन भारत में यह फैसला काफी मुश्किल रहा है। टीकाकरण पर केंद्र सरकार के राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने यह तो माना है कि इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाना चाहिए, लेकिन बेहद सावधानी बरतते हुए इसे सिर्फ दो राज्यों में ही शुरू करने को कहा है। दैनिक जागरण के पास मौजूद एनटीएजीआई की बैठक के दस्तावेजों के मुताबिक समूह के कुछ सदस्यों ने बैठक के दौरान भी इसका विरोध किया था। इन टीकों को लेकर भ्रम की स्थिति यह है कि एक तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दुनिया भर में एचआई-बी संक्रमण से होने वाली मौतों में से 20 फीसदी हिंदुस्तान में ही होती हैं। अगर सभी बच्चों को समय से टीके लग जाएं तो भारत में 75 हजार जिंदगियां आसानी से बच सकती हैं। तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य और सेंट स्टीफन अस्पताल में बाल रोग विभाग के प्रमुख जैकब पुलियल का हालांकि कहना है कि यह सिर्फ निजी टीका कंपनियों का फैलाया हुआ हौव्वा है। भारत में एचआई-बी के टीके को चार और दूसरे टीकों के साथ मिला कर पंचमेल यानी पेंटावेलेंट रूप में दिया जाएगा। तकनीकी समूह के मुताबिक 56 देशों में कामयाबी पूर्वक पेंटावेलेंट टीके लगाए जा रहे हैं। हालांकि, तकनीकी समूह ने इस सचाई को भी माना है कि कोई भी विकसित देश पेंटावेलेंट टीकों का इस्तेमाल नहीं करता। ऐसे में तय किया गया है कि एक साल तक दो राज्यों में इन टीकों के इस्तेमाल के बाद इनके असर की समीक्षा के बाद ही इसे दूसरे राज्यों में लागू किया जाएगा। पेंटावेंलेंट टीकों में डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, हेपेटाइटिस-बी और एचआई-बी के टीके एक साथ शामिल होंगे। इनमें से डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी के टीके डीपीटी के नाम से पहले से ही लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पेंटावेलेंट और रूबेला टीकों की सिफारिशों को पूरा करने के लिए कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है(मुकेश केजरीवाल,दैनिक जागरण,दिल्ली,14.10.2010)।

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