गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

दिल्ली में अब चिकनगुनिया का हमला

डेंगू के साथ चिकनगुनिया भी रेकॉर्ड तोड़ने लगा है। इन दिनों अस्पतालों में डेंगू से ज्यादा मामले इसी के आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर डॉक्टर एमसीडी में इसके मामलों की रिपोर्ट ही नहीं भेज रहे हैं, क्योंकि उन्हें अब तक यह कन्फ्यूजन है कि चिकनगुनिया नोटिफाइड डिजीज है अथवा नहीं। मूलचंद हॉस्पिटल के सीनियर एक्सपर्ट डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया कि हमारे यहां रोज करीब एक दर्जन ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें बुखार के साथ त्वचा में अलग-अलग तरह के रैशेज और जोड़ों में दर्द के लक्षण हैं। जांच कराने पर चिकनगुनिया की पुष्टि हो रही है। गंगाराम, मैक्स, फोर्टिस जैसे लगभग सारे बड़े अस्पतालों की यही हालत है। डॉक्टरों का कहना है कि करीब 10 दिनों से ऐसे लक्षणों वाले मामले तेजी से बढ़े हैं। शुरुआत में काफी कन्फ्यूजन था। कई तरह के टेस्ट कराने पड़ रहे थे और मरीज भी कभी आई फ्लू, कभी स्किन एलर्जी तो कभी ऑर्थोपेडिक की दिक्कत के भ्रम में अलग-अलग एक्सपर्ट्स के पास भटक रहे थे, मगर अब जांच से पता लग रहा है कि ये मामले चिकनगुनिया के हैं। प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि हमें एमसीडी की तरफ से इस बीमारी के बारे में स्पष्ट निर्देश ही नहीं दिये गए हैं, ऐसे मंे हम इन मामलों को रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। एमसीडी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक बीमारी के सिर्फ 21 मामले दर्ज हुए हैं। एमसीडी के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एन. के. यादव का कहना है कि चिकनगुनिया भी एडिस मच्छरों से फैलता है और दिल्ली में जिस तरह से डेंगू का असर होता है वैसे ही साउथ इंडिया में चिकनगुनिया फैलता है। ऐसे में दोनों बीमारियों को एक ही कैटिगरी मंे रखा जाता है। चिकनगुनिया भी सिरॉलजी टेस्ट से कन्फर्म होता है, लेकिन इसका टेस्ट पांच दिन के बाद कन्फर्म होता है। चिकनगुनिया के लक्षणः आमतौर पर इसका असर 7-10 दिनों तक रहता है। इसमें बुखार कम आता है, मगर त्वचा और शरीर के जोड़ ज्यादा प्रभावित होता हैं। ऐसे में उंगलियों, कलाई, हाथ, घुटने और टखनों के जोड़ों में दर्द होता है। सुबह के समय तकलीफ ज्यादा होती है। ज्यादातर मरीजों में पूरी तरह से दर्द ठीक होने में दो से तीन हफ्ते का समय लग जाता है। राहत की बात यह है कि इस बीमारी के 47 पर्सेंट मामले ही गंभीर होते हैं, लेकिन इनमें से 82 पर्सेंट लोगों को जोड़ों में दर्द होता है। इनमें भी 88 पर्सेंट को एक महीने तक और 48 पर्सेंट मामलों में दर्द छह महीने तक रह सकता है। चिकनगुनिया का इलाजः इसके ज्यादातर मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं। बुखार के लिए सिर्फ पैरासिटामॉल दिया जाता है। दर्द से राहत के लिए डॉक्टर की सलाह से कोई दवा दी जाती है और खूब सारा लिक्विड लेने और आराम करने की सलाह दी जाती है। गंभीर मामलों में एंटिवायरल थेरपी की जरूरत होती है। बीमारी से घबराने की कोई जरूरत नहीं , क्योंकि 90 पर्सेंट मामलों में बुखार तीन दिन में ठीक हो जाता है और इसमें मृत्यु दर 0.2 पर्सेंट है(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,14.10.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. सुरक्षा के उपाय भी मालूम चल जायें तो ज्यादा अच्छा रहे.

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