भारतीय डॉक्टरों ने दिल की धमनियों के रोग के इलाज के लिए आधुनिकतम एंजियोप्लास्टी तकनीक के तौर पर दवा युक्त एक गुब्बारे का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और उनका कहना है कि स्टेंट की तुलना में यह गुब्बारा तकनीक अधिक असरकारी है।
जसलोक अस्पताल के हृदय रोग विभाग के निदेशक डॉ. ए बी मेहता के मुताबिक, 'देश भर में 2007 के बाद से लगभग 240 रोगियों पर नई तकनीक के परीक्षण किए गए जा चुके हैं। भारत के औषधि महानियंत्रक से हाल में अनुमोदन मिलने के बाद हमने 160 और रोगियों पर इसका परीक्षण किया है।' उन्होंने कहा, यह परीक्षण जसलोक अस्पताल, नानावती और एस्कोर्ट्स अस्पताल के अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, सीएमसी वेल्लौर और मद्रास मेडिकल कॉलेज में किए गए।
डॉ. मेहता ने इस तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'एंजियोप्लास्टी में गुब्बारे जैसे उपकरण को मैट्रिक्स तकनीक से विकसित दवा से कोट कर दिया जाता है और इसे 45 सेकेंड के लिए धमनी के वसा वाले स्थानों पर रखा जाता है। वसा वाले यह हिस्से दवा को अवशोषित कर लेते हैं।'
डॉ. मेहता ने कहा कि यह इलाज विशेष तौर पर रेस्टेनोसिस (दोबारा थक्का जमना) के रोगी के लिए अच्छा है। इसके अलावा स्टेंट को लगाने में दिक्कत होने की स्थिति में भी गुब्बारा बेहतर विकल्प है। इस इलाज में लगभग 99,700 रूपये का खर्च आता है। मेहता ने कहा, कि यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी एंड नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ ऐंड क्लीनिकल एक्सीलेंस, लंदन द्वारा अनुमोदित यह नया तरीका लंबे समय में स्टेंट के मुकाबले अधिक सुरक्षित भी है क्योंकि धमनियों में थक्का जमने की कम गुंजाइश होती है(नवभारत टाइम्स,मुंबई,21.10.2010)।
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