शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

केईएम में हुआ सफल लिवर ट्रांसप्लांट

पुणे की एक फर्म में काम करनेवाले आईटी इंजिनियर उल्लास चौधरी (27) को दो साल पहले जब पता चला कि वे ऑटोइम्यून हिपैटाइटिस से पीड़ित हैं जिसका एकमात्र इलाज लिवर ट्रांसप्लांट है, तो उन्होंने जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट के चार हफ्ते बाद बुधवार दोपहर केईएम हॉस्पिटल के आईसीयू में उनके चेहरे पर फैली मुस्कराहट और आंखों में चमक उनके जज्बात को बयान कर रही थी कि जिंदगी के मायने अब और खास हैं। क्षतिग्रस्त हो चुके लिवर की कारण उल्लास को ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। दूसरी जिंदगी भी उन्हें पिता की बदौलत मिली और जरिया बना पब्लिक हॉस्पिटल केईएम। पिता शशिकांत चौधरी कहते हैं, 'जलगांव का एक मध्यवर्गीय परिवार भला प्राइवेट हॉस्पिटलों में लिवर ट्रांसप्लांट का 15-16लाख रु खर्च कहां उठा पाता। और राज्य के सरकारी हॉस्पिटलों में यह महंगी सर्जरी होती नहीं थी। लेकिन तीन महीने पूर्व केईएम हॉस्पिटल के सर्जनों ने कहा कि अगर आप जिगर का एक टुकड़ा दान करें,तो बेटे की जिंदगी बच सकती है।' शशिकांत चौधरी ने हां कहने में एक पल भी नहीं लगाया और गत 23सितंबर को लिवर का दाहिना लोब निकालकर बेटे के दाहिने लिवर की जगह प्रत्यारोपित कर दिया गया। पिता को उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया गया। उल्लास को 15दिन हॉस्पिटल में और रहना होगा क्योंकि फॉलोअप के लिए जलगांव के येवला गांव से आना-जाना आसान नहीं होगा। लेकिन उल्लास के लिए हॉस्पिटल में रुकना कोई तकलीफ की बात नहीं। 'लोग सरकारी अस्पतालों को बदनाम करते हैं,लेकिन मैंने डॉक्टरों और स्टाफ का जो समर्पण और सपोर्ट यहां देखा, वह काबिल-ए-तारीफ है।' जटिल सर्जरी को अंजाम दिया केईएम के कंसल्टेंट लिवर सर्जन डॉ चेतन कंथारिया और उनकी टीम ने। टीम को सुपरवाइज करने के लिए मौजूद थे मेदांता मेडसिटी (गुड़गांव) के लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर के चेयरमैन और भारत में लिवर ट्रांसप्लांट के पिता मानेजाने वाले डॉ. अरविंदर सिंह सॉएन। डॉ. सॉएन को केईएम ने विजिटिंग प्रफेसर के तौर पर नियुक्ति दी है और वे आनेवाले समय में हॉस्पिटल में होनेवाले लिवर ट्रांसप्लांट को सुपरवाइज करते रहेंगे। डॉ. सॉएन के मुताबिक, 'उल्लास का लिवर चूंकि पूरी तरह क्षतिग्रस्त था, इसलिए हम कैडेवर लिवर का इंतजार नहीं कर सकते थे। यही वजह है कि लाइव डोनर चुना गया। इत्तफाक से पिता और बेटे की ब्लड और टिशू भी मैच कर गए।'(नवभारत टाइम्स,मुंबई,21.10.2010)

1 टिप्पणी:

  1. अस्पताल, डॉक्टर और उनकी टीम को बधाई। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
    पक्षियों का प्रवास-१

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।