आधुनिक जीवनशैली आहिस्ते से कब हमें कई गंभीर व घातक बीमारियों का शिकार बना देती है, पता ही नहीं चलता। ऐसी ही एक प्राणघातक बीमारी है ‘हाई ब्लड प्रेशर’, जिसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहते हैं। जानकारी के अभाव में हम न तो समय पर इसकी जांच करा पाते हैं और न ही इलाज। परिणामस्वरूप हमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, गुर्दे की बीमारी, दृष्टि संबंधी दोष और पैरों में रक्त प्रवाह रुकने जैसी समस्याएं आ घेरती हैं।
समय पर जांचः
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर (डॉ़) कामेश्वर प्रसाद के अनुसार यूं तो हमारे देश में 25साल से अधिक उम्र के लोगों को साल में एक बार बीपी चेक करवाने की सलाह दी जाती है,लेकिन आज की जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए बेहतर होगा कि 18 की उम्र से ही लोग इसकी जांच करवाना शुरू कर दें। इसके अलावा, यदि आपकी उम्र 25 से ज्यादा है तो साल में दो बार, 35 से ज्यादा है तो तीन बार, 45 से ज्यादा है तो चार बार और 55 से ज्यादा है तो पांच बार बीपी की जांच करवाएं। यदि आप 65साल से अधिक उम्र के हैं तो जब भी अस्पताल जाएं या डॉक्टर से मिलें, यह जांच अवश्य करा लें।
तो हो जाएं सावधान, यदि जांच के बाद आपकी रीडिंग हो.. (कैटेगरी सिस्टोलिक प्रेशरडायस्टोलिक प्रेशर ऑप्टिमल
120 से कम 80 से कम नॉर्मल
130 से कम 85 से कम हाई नॉर्मल
130 से 139, 85 से 89 आप हाई बीपी के शिकार हैं
यदि जांच के बाद आपकी रीडिंग है.. स्टेज वन 140 से 159, 90 से 99 (माइल्ड), स्टेज टू 160 से 179, 100 से 109 (मॉडरेट), स्टेज थ्री 180 या ज्यादा 110 या ज्यादा (सिवियर), आइसोलेटेड 140 या ज्यादा 90 या कम सिस्टॉलिक।
रीडिंगः
आप हाई बीपी के मरीज हैं या नहीं,यह जानने के लिए कम से कम तीन बार इसकी रीडिंग लेकर औसत निकाल लें। यदि औसत सामान्य न आए तो समझ लें कि आप हाई बीपी के शिकार हैं। यदि सिंगल चेकअप में ही रीडिंग 200/120 आए तो समझ लें कि आप हाई बीपी की गिरफ्त में आ चुके हैं।
- अधिकांश मरीजों को इसका कारण पता नहीं चलता, इसलिए जांच के दौरान यदि हाई बीपी निकलता है तो इसका कारण पता करें। कई को इसकी वजह से किडनी की बीमारी होने की संभावना रहती है, इसलिए सही ढंग से जांच जरूरी है। यदि रीडिंग 120/80 से ज्यादा हो तो परहेज शुरू कर दें। साथ ही कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें।
- खाने में नमक कम लें।
- खाने में ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां, फल आदि लें। एल्कोहल कम कर दें।
- बीपी नॉर्मल हो जाए तब भी दवा बंद न करें। जीवनभर इसकी दवाएं लेते रहें।
- नियमित रूप से व्यायाम, योग करें। तेज चलें, दौड़ें या फिजिकल एक्टिविटीज ज्यादा करें। रोज कम से कम 30मिनट या चार किलोमीटर अवश्य चलें। आपकी गति ऐसी हो कि दस मिनट में कम से कम एक किमी की दूरी तय कर लें। हफ्ते में पांच दिन ऐसा करें।
- वजन पर नियंत्रण रखें। सैचुरेटेड फैट कम करें। यदि बीपी लो है तो इसका कारण जानने की कोशिश करें। दरअसल, लो बीपी कोई बीमारी नहीं है। इसके कारण का इलाज जरूरी है।
बरतें सावधानीः
- किसी भी वयस्क को साल में कम से कम एक बार बीपी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। साल में एक बार ईसीजी अवश्य कराएं।
- छाती में दर्द, देखने में दिक्कत या लकवा के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- जांच के दौरान हाई बीपी निकलता है तो डॉक्टर जितनी बार कहे, जांच कराएं।
- घर पर भी बीपी चेक करने की मशीन रखें। अस्पताल में डॉक्टर के पास बीपी चेक करवाने पर ज्यादातर महिलाएं और बड़ी उम्र के लोग डर जाते हैं, जिससे रीडिंग बढ़ जाती है। ऐसा देखा गया है कि अस्पताल में जांच के बाद बीपी की जो रीडिंग आती है, वह सामान्य से पांच मि.मी. ज्यादा होती है।
कद्दूः
कद्दू,जो हमारे लिए केवल एक सब्जी है, वास्तव में एक उपयोगी फल भी है, जिसका कई तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है। इससे कई मजेदार और स्वादिष्ट डिश बनाई जाती हैं। हमें इसके लिए अमेरिका का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने कद्दू की क्रीम से बिस्कुट जैसी एक डिश तैयार की, जबकि इटली में उससे पुलाव बनाया जाता है।
जापानी इसे फ्राई कर कुरकुरा बनाते हैं और फिर इसका स्वाद लेते हैं। पुर्तगाल में कद्दू का सूप तैयार किया जाता है। जहां तक अपने देश का सवाल है, हमारे यहां भी कद्दू को अलग-अलग तरीके से खाया जाता है। बंगाल में इससे कोरमोर चोखा और चोर्चरी बनाई जाती है जबकि दक्षिण में कोट्ट बनाया जाता है, सांभर में इसके शामिल होने से हम सभी परिचित हैं ही।
जहां तक उत्तर भारत का सवाल है,मौसम होने पर कद्दू की सब्जी हमारे लंच और डिनर का स्वादिष्ट हिस्सा है । यहां हम आपको श्रीलंका में कद्दू से बनाई जाने वाली करी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका ईजाद यहां 1950 के दशक में किया गया था। यहां के सब्जी बेचने वाले एक दिन कद्दू को घर ले गए और इसे करी में डाल दिया। इससे एक ऐसी डिश बन गई, जो स्वादिष्ट भी थी और जल्दी पक जाती थी। यहां पाए जाने वाले लाल कद्दू और सूखी मछलियों में खूब ऊर्जा होती है और करी के साथ मिलकर इसका स्वाद और बढ़ जाता है(सुषमा कुमारी,हिंदुस्तान,19.10.2010)।
अलका सरवत जी ने अपने ब्लॉग मेरा समस्त में लिखा है कि दवा के रूप में चार सौ सालों से प्रयुक्त सर्पगंधा की जड़ों में ''रिसर्पिन '' नामक एल्केलाईड पाया जाता है जो उच्च रक्तचाप की अचूक दवा है। उन्होंने अश्वगंधा को भी उच्च रक्तचाप में बहुत लाभकारी बताया है।
हम उच्च रक्तचाप के मरीज़ के लिए आपने अच्छी जानकारी दी है।
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