हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने वैश्विक वयस्क तंबाकू सेवन सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से भारत में हर साल दस लाख से ज्यादा लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि तमाम चेतावनियों और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध कर देने के बावजूद ३५ फीसदी वयस्क तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। इनमें एक-चौथाई लड़कियां हैं जो १५ साल की उम्र से पहले ही तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन शुरू कर देती हैं। हैरानी की बात है कि तंबाकू की लत के शिकार लोगों में ६० फीसदी तो नींद खुलने के साथ ही तंबाकू उत्पादों का सेवन करने लगते हैं। फिर विकसित देशों में कड़ी पाबंदी के चलते बड़ी कंपनियां अपने तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए भारत व दूसरे विकासशील देशों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। तंबाकू के धुएं से सिर्फ उन्हीं लोगों को नुकसान नहीं हो रहा है जो इसका सेवन कर रहे हैं बल्कि देश में ५२ फीसदी वयस्क हिंदुस्तानियों को दूसरे द्वारा पी गई बीड़ी-सिगरेट के धुएं का शिकार होना पड़ता है।
चीन के बाद भारत में दुनिया के सबसे अधिक तंबाकू सेवन करने वाले लोग रहते हैं। तंबाकू सेवन करने वालों में बीड़ी पीने वालों का अनुपात ८५ फीसदी है। सरकार तंबाकू के उत्पादन को नियंत्रित कर इसके दुष्प्रभाव को कम करना चाहती है परंतु तंबाकू की खेती और तंबाकू उत्पादों से जुड़े उद्योगों में लगे लाखों किसानों-मजदूरों की आजीविका आड़े आ रही है।
विशेषज्ञ तंबाकू से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इस पर टैक्स बढ़ाने का सुझाव देते रहे हैं। उनके अनुसार यदि देश में बीड़ी- सिगरेट पर लगने वाले टैक्स को अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर पर ला दिया जाए, तो सरकार को न केवल प्रतिवर्ष १८,००० करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल होगा अपितु लाखों लोगों को असमय मौत के मुंह में जाने से बचाया भी जा सकेगा। बीड़ी-सिगरेट से हो रहे भारी नुकसान के बावजूद देश में लोकप्रिय तंबाकू उत्पादों पर कर की दरें बहुत कम हैं। उदाहरण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिगरेट पर ६५ से ८५ फीसदी कर लगाने का सुझाव दिया है जबकि भारत में कर की दर २५ से ४० फीसदी है। यदि सिगरेट की खुदरा बिक्री पर कर को बढ़ाकर ७८ फीसदी कर दिया जाए, तो तंबाकू से होने वाली ३४ लाख मौतों को कई वर्ष तक टालने में सफलता मिलेगी। इससे सरकारी खजाने में १४,६३० करोड़ रुपए की भी बढ़ोत्तरी होगी। बीड़ी की फुटकर बिक्री पर नौ फीसदी से भी कम कर है। यदि इस दर को ४० फीसदी कर दिया जाए तो डेढ़ करोड़ लोगों को अकाल मौत से बचाया जा सकेगा और ३,६९० करोड़ रुपए का राजस्व लाभ होगा। इसके अलावा बीमारी पर होने वाले खर्च में भी कमी आ जाएगी(नई दुनिया,दिल्ली,29.10.2010)।
चिंतनीय स्थिति।
जवाब देंहटाएं