एलोपैथी अस्पतालों में अब आयुर्वेदिक चिकित्सक के प्रवेश पर पूर्ण विराम लग सकता है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल की एक बैठक में इस बात पर गंभीरता से चर्चा की गई है और जल्द ही इसे अमल में लाने पर जोर दिया गया है। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें गलत तरीके से आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा की जा रही प्रैक्टिस और नकली डाक्टरों पर नकेल कसने की बात कही गई थी। बुधवार को डीएमसी की मासिक बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि अब दिल्ली में एलोपैथी अस्पतालों में आयुर्वेदिक डॉक्टर न तो प्रशिक्षण ले सकते हैं और न ही प्रैक्टिस। कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल के लिए जेल भी जाना पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो राजधानी में पिछले कुछ दिनों से नकली डॉक्टरों का बढ़ता मायाजाल और गलत तरीके से एलोपैथ की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की शिकायत आ रही थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने यह निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि डीएमसी एक्ट की धारा-27 के तहत ऐसे डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है और बीस हजार का जुर्माने का भी प्रावधान है। यह जुर्म गैर जमानती है। डीएमसी एक्ट के मुताबिक किसी भी सरकारी एलौपेथिक अस्पतालों में ट्रेनिंग व प्रैक्टिस के लिए डाक्टर को डीएमसी से रजिस्ट्रेशन कराना होता है। जल्द ही इस बारे में राजधानी के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को पत्र के माध्यम से सूचित कर दिया जाएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,29.10.2010)।
राधारमण जी , यह निर्णय तो दिल्ली सरकार का है कि सरकारी अस्पतालों में सब तरह की सुविधाएँ हों । इसलिए आयुर्वेदिक और होमिओपेथिक डॉक्टर्स भी उपलब्ध हैं ।
जवाब देंहटाएंअब डी एम् सी या एम् सी ई क्या सरकार के निर्णय के विरुद्ध जा सकती है ?