आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे है। चिंताजनक तथ्य यह है कि दिल्ली सहित पूरे देश में ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित लोगों में करीब २० फीसदी युवा हैं। दुनिया भर में हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक की वजह से मर रहा है। भारत में हर एक लाख पर २००-२५० लोग इसके शिकार हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में वर्ल्ड स्ट्रोक दिवस से पूर्व आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने युवाओं में बढ़ते स्ट्रोक के मामले पर चिंता जताई। शुक्रवार (२९ अक्टूबर) को वर्ल्ड स्ट्रोक डे है। उस दिन शाम पांच बजे लेक्चर थियेटर-एक में आम जनता, मरीज, परिजन व डॉक्टरों को ब्रेन स्ट्रोक के संबंध में बताने के लिए एक गोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें विभाग प्रमुख डॉ. माधुरी बिहारी, डॉ. कामेश्वर प्रसाद, डॉ. एमवी पदमा व डॉ. रोहित भाटिया लोगों को ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के तरीके बताएंगे।
एम्स न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोहित भाटिया के अनुसार प्रति वर्ष एम्स में करीब ४०० लोग ब्रेन स्ट्रोक के शिकार होकर आते हैं, जिसमें से हर पांचवा व्यक्ति ४० वर्ष या इससे कम उम्र का होता है। बिगड़ती जीवनशैली, अनियमित खानपान, हाइपरटेंशन और धूम्रपान की वजह से मामले बढ़ रहे हैं। धमनियों में चर्बी की मात्रा अधिक होने से वह पतली हो जाती है, जिससे ब्लॉकेज आता है। इससे स्ट्रोक पड़ता है। इसे स्किमिक स्ट्रोक कहते हैं।
डॉ. भाटिया के अनुसार दूसरे तरह का स्ट्रोक ब्लड प्रेशर अधिक होने से होता है। इसमें ब्रेन के अंदर रक्त नलिकाओं में लीकेज आ जाता है, जिससे ब्रेन हेमरेज हो जाता है। लोगों को सलाह दी जाती है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर चार घंटे के अंदर न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए ताकि मरीज की जिंदगी बचाई जा सके। कई बार बड़े स्ट्रोक से पहले छोटा स्ट्रोक पड़ता है, जिसमें कुछ समय के लिए आंख की रोशनी चली जाती है और फिर लौट आती है। या फिर अंग का कोई हिस्सा कमजोर हो जाता है और फिर ठीक हो जाता है। इससे नजरअंदाज करने की जगह तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि बड़े स्ट्रोक को होने से रोका जा सके(नई दुनिया,दिल्ली,29.10.2010)।
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जवाब देंहटाएंयुवा भी क्या करें अब तो चूतिये किस्म के प्रोफेसर और डीन IIT रूडकी में छात्रों को होंठ में लिपस्टिक पकरकर छात्राओं के लिप रंगने की ट्रेनिंग दे रहें हैं और ज्यादातर इलेक्ट्रोनिक मिडिया जिनके मालिक भडुए से कम नहीं हैं अपने चेनल में इसे इनोवेटिव गेम के रूप में प्रचारित कर रहें हैं | इस तरह के दूषित माहौल में ब्रेनस्ट्रोक नहीं होगा युवाओं का तो और क्या होगा ...ऐसे चूतिये शिक्षकों को सरे आम जूते से पीटा जाना चाहिए जो बच्चों को पढ़ाने और चरित्रवान बनाकर देश और समाज के सेवा के लायक बनाने की वजाय भडुए बनने की शिक्षा दे रहें हैं ..ऐसे शिक्षक कल को बच्चों को इनोवेटिव गेम के नाम पर सड़कों पर खुले आम यौनक्रिया करने की भी शिक्षा दे देने से बाज नहीं आयेंगे ....धिक्कार है ऐसे IIT पर और इस देश के मिडिया पर जो इस तरह के कुकृत्य को सही साबित करने में लगी हुयी है ...
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