44 वर्षीय संध्या शुक्ला देखने में यूँ तो स्वस्थ है लेकिन किचन में पैर फिसलने के कारण उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई। ऑपरेशन के बाद लंबे समय तक बिस्तर पर पड़ी रहीं । अब सामान्य जिंदगी शुरू होने ही वाली थी कि हाथ की हड्डी टूट गई। डाक्टर ने बार-बार हड्डी टूटने की वजह आस्टियोपोरोसिस बताया। इस बीमारी की वजह से हड्डी भुरभुरी एवं कमजोर हो जाती है जिससे जरा सा झटका या आघात लगने पर फ्रैक्चर हो जाता है। इस बीमारी का कोई लक्षण तब तक प्रकट नहीं होता जब तक कि फ्रैक्चर न हो जाए।
इस बीमारी से बचने के लिए चालीस की उम्र पार करने के बाद बोन मिनिरल डेंसिटी का परीक्षण कराना चाहिए। इस परीक्षण से बीमारी का पता लग जाता है। उसके बाद एहतियात बरत कर फ्रैक्चर से बचा सकता है। लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई के अत:स्रावी रोग विशेषज्ञ प्रो.सुशील गुप्ता बताते हैं कि यदि यह बीमारी ऐसी बढ़ती रही तो वर्ष 2015 तक 25 करोड़ लोग इस परेशानी के शिकार होंगे। पचास की उम्र पार कर चुकी 20 से 30 फीसदी महिलाएँ और 10 से 15 फीसदी पुरुष इस परेशानी की चपटे में हैं। 29.9 फीसदी महिलाएँ व 24.3 फीसदी पुरुष मुहाने पर खड़े हैं। हर तीसरी महिला एवं हर छठा पुरूष इस बीमारी की चपेट में है। इस बीमारी की वजह से सात लाख लोगों की रीढ़ की हड्डी,तीन लाख लोगों के कूल्हे,दो लाख लोगों की कलाई एवं तीस हजार लोगों को अन्य हड्डियों में फ्रैक्चर होता है।
कूल्हे में फ्रैक्चर के शिकार 20 लोगों की मौत संक्रमण ,बेड्सहोल के कारण हो जाती है बाकी 50 फीसदी लोग विकलांग हो जाते हैं। बच्चों में इस बीमारी को रिकेट के नाम से जाना जाता है। प्रो.गुप्ता बताते हैं कि हड्डियाँ कोलेजन नामक प्रोटीन के जाल पर एकत्रित कैल्शियम के हाइड्रोऑक्सापेटाइड लवण से बनी होती हैं। यदि कोलेजन का मैट्रिक्स सामान्य हो और कैल्शियम कम हो जाए तो इसे आस्टोमलेसिया (मुलायम हड्डी) हो जाता है। यह बीमारी विटामिन-डी की कमी से होती है। देखा गया है कि 95 फीसदी भारतीयों में विटामिन डी की कमी है। जब कोलेजन एवं कैल्शियम होने कम हो जाता है तो इस बीमारी को आस्टियोपोरोसिस कहते हैं। 30 साल की उम्र तक हड्डी में कैल्शियम जमा होता है । इसके बाद क्षरण शुरू हो जाता है। इसलिए कैल्शियमयुक्त खाद्यपदार्थो का सेवन खूब करना चाहिए ताकि बोन मास बढ़ जाए। उन्होंने बताया कि कैल्सीटोनिन एवं बायोफॉस्फोनेट नामक दो नई दवाएँ आ गई हैं जिनसे बीमारी के दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कैल्शीटोनिन बोन मास बढ़ाता है जबकि बायोफॉस्फोनेट कैल्शियम का क्षरण कम करता है(हिंदुस्तान,लखनऊ,4.10.2010)।
हे भगवान!
जवाब देंहटाएंबहुत गंभीर स्थिति और चिंता का विषय। शायद आपकी सलाह काम आए। प्रकृति के सुकुमार कवि, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
डॉक्टर्स रोज सुबह शाम एक गिलास दूध पीने की सलाह देते हैं , ताकि केल्शियम मिलता रहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत-२ धन्यवाद आपका इस जानकारी के लिए
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